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गंगा दक्षिण से उत्तर!

राजीव रंजन झा

अब शायद काफी लोगों ने कयास लगाना छोड़ दिया होगा कि बाजार और कितना गिर सकता है। बाजार फिसलने के बारे में जिन लोगों के अनुमान अब तक एकदम सटीक साबित होते लग रहे थे, यह गिरावट उनके अनुमानों से भी ज्यादा गहरी निकल रही है। इसलिए जब उनसे भी पूछा जाता है कि तलहटी बन गयी या नहीं, तो जवाब गोलमोल ही होता है! ऐसे बाजार में क्या करे एक आम निवेशक?

 

आम तौर पर रास्ते दो ही होते हैं, या तो आप धारा के साथ चल सकते हैं या फिर तर्क के रास्ते पर जा सकते हैं। लेकिन इस समय धारा के साथ चलना अपने-आपको पहाड़ी नदी की तेज धारा के हवाले कर देने जैसा है। यह धारा काफी तेज है, और हर मोड़ पर चट्टानों से टकरा रही है। इसलिए बेहतर है कि आप तर्क के साथ चलें। हो सकता है कि कुछ समय तक तर्क का यह रास्ता आपको डराये, यह अहसास कराये कि बाजार किसी और दिशा में चल रहा है और आप भटक गये हैं। लेकिन ध्यान रखें कि गोमुख से गंगासागर तक के रास्ते में गंगा कई बार दक्षिण से उत्तर की ओर भी बहती है। बाजार कुछ समय के लिए आर्थिक तर्कों से परे जा सकता है, हमेशा के लिए नहीं। बाजार का बुनियादी तर्क यह है कि कंपनियों के शेयर भाव उनकी आमदनी के पीछे-पीछे चलते हैं। एक तरह से कहा जाये कि शेयर भाव किसी कंपनी की भविष्य की संभावना का वर्तमान आकलन है।
लेकिन इस समय बाजार एक दूसरे बुनियादी नियम पर चल रहा है, और वह है मांग और आपूर्ति का नियम। इस समय विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते बाजार में हद से ज्यादा आपूर्ति है और उस आपूर्ति को खपाने लायक मांग नहीं है। नतीजतन, भाव लगातार नीचे जा रहे हैं।
कुल मिला कर बाजार के सामने सबसे बड़ी पहेली यही है कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली का दौर कब थमेगा। मुमकिन है कि इन स्तरों पर विदेशी निवेशक भी कुछ समय के लिए रुक जायें और अपनी अगली बिकवाली के लिए बाजार के कुछ वापस चढ़ने का इंतजार करें। यानी हो सकता है कि अब उनकी बिकवाली एक झटके में न होकर कई किश्तों में हो। इसलिए उनकी बिकवाली कब पूरी तरह रुकेगी, इसका अहसास भी शायद तुरंत नहीं हो पायेगा। लेकिन उनकी बिकवाली पूरी तरह रुक जाने का अहसास जब तक बाजार को होगा, तब तक बाजार इन्हीं स्तरों पर बैठा नहीं रहेगा।

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