भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने लगातार पाँचवी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर (Repo Rate) में कटौती कर दी है।
इस बार आरबीआई ने ब्याज दरों में 25 आधार अंको की कटौती की है। इससे पहले लगातार तीन बार 25-25 आधार अंकों की कटौती के बाद अगस्त में केंद्रीय बैंक ने रेपो दर में 35 आधार अंकों की कटौती की थी।
आरबीआई के ताजा फैसले से रेपो दर घट कर 5.15% रह गयी है, जो मार्च 2010 के बाद सबसे कम है। आरबीआई ने यह भी कहा है कि अभी रेपो दर में कटौती की और भी गुंजाइश है। इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate) भी घट कर 4.9% और बैंक रेट (Bank Rate) 5.40% रह गयी है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) का कहना है कि मौद्रिक नीति समीति (एमपीसी) ने रेपो दर को कम करने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया। अब 2019 में आरबीआई रेपो दर में कुल 1.35% की कटौती कर चुका है।
हालाँकि एमपीसी ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि (Real GDP Growth) का अनुमान 6.9% से घटा कर 6.1% कर दिया गया है। आरबीआई ने कहा कि विभिन्न संकेतक बताते हैं कि घरेलू माँग की स्थिति कमजोर बनी हुई है और वैश्विक अर्थव्यवस्था ने गति खो दी है। आरबीआई गवर्नर के मुताबिक घरेलू और शहरी दोनों माँग कमजोर रही हैं। अनुमानित विकास दर घटाने के साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति के लिए अनुमान 3.1% से बढ़ा कर 3.4% किया गया है।
क्या है रेपो दर और रिवर्स रेपो दर
रेपो दर वह दर होती है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को दिये गये ऋण पर ब्याज वसूलता है। जबकि रिवर्स रेपो दर वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो दर बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है। (शेयर मंथन, 04 अक्टूबर 2019)