हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों में गिरावट जारी रहने की संभावना है।
हल्दी की कीमतों में 6,900 रुपये तक गिरावट हो सकती है। घरेलू बाजारों में पर्याप्त स्टॉक के साथ ही आंध प्रधेश मार्क फेड के पास लगभग 48,500 टन के स्टॉक, जिसे उसने मई में खरीदा था, के कारण कुल मिला कर निराशाजनक भावना है। 2017-18 (जुलाई-जून) में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में अनुकूल मौसम और पर्याप्त बारिश के कारण उत्पादन में 20% वृद्धि होने के कारण अनुमान है। जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 18,700 रुपये के सपोर्ट स्तर से नीचे टूटने की संभावना है और कीमतों में 18,600 रुपये तक गिरावट हो सकती है। वर्ष के मौजूदा सीजन को ऑफ-सीजन माना जाता है क्योंकि प्रमुख कारोबारी थोक खरीदारी से बचते है और बुआई की प्रगति के आधार बाजार के रुझान का इंतजार करते हैं। पिछले सीजन में किसानों को जीरे की अधिक कीमतें मिलने के कारण मौजूदा सीजन 2017-18 में किसान अन्य फसलों के स्थान जीरे की बुआई में बढ़ोतरी कर सकते हैं। यद्यपि राजस्थान और गुजरात के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में जीरे की बुआई शुरु हो गयी है, लेकिन अधिकांश किसान तापमान में 25-30 डिग्री सेल्सियस तक गिरावट होने का इंतजार कर रहे है, जो जीरे की बुआई के लिए काफी उपयुक्त होता है। राजस्थान और गुजरात के उत्पादन क्षेत्रों में मौजूदा तापमान 33-.35 डिग्री सेल्सियस है। धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों को 5,160 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ा सकता है और इसकी कीमतों में बढ़त पर रोक लग सकती है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में धनिया की बुआई शुरु होने कारोबारी सावधान हो चुके हैं। राजस्थान में इस वर्ष धनिया के बुआई क्षेत्र में बढ़ोतरी होने संभावना है क्योंकि सरसों की तुलना में धनिया की कम सिंचाई करने की आवश्यकता है। (शेयर मंथन, 13 नवंबर 2017)
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