सीमित दायरे में कारोबार की संभावन के साथ कपास वायदा (अप्रैल) में थोड़ी जवाबी खरीद हो सकती है।
भारत में 2018-19 में कपास की बुआई में 12% की कमी हो सकती है, क्योंकि मौजूदा सीजन में गुलाबी कीटो के प्रकोप से उत्पादन में कमी आने से किसान अन्य फसलों की खेती कर सकते हैं। मौजूदा सीजन के 12.26 मिलियन हेक्टेयर की तुलना में 2018-19 में कपास की बुआई कम होकर 10.8 मिलियन हेक्टेयर में होने का अनुमान है। ग्वारगसीड वायदा (अप्रैल) की कीमतें 4,100 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती हैं। विदेशी बाजारों से ग्वारगम की कमजोर माँग के कारण पेराई के लिए ग्वारसीड की माँग कम हो रही है और खरीदार थोक खरीदारी नही करना चाहते हैं। बाजारों में ग्वारसीड का स्टॉक भी काफी अधिक है। ग्वारगम की निर्यात माँग में तेजी आने पर ही कीमतों में तेजी दर्ज की जा सकती है। चना वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 3,600 के स्तर पर सहारा मिलने की संभावना है और आयात शुल्क में बढ़ोतरी की खबरों से कीमतों की गिरावट पर रोक लग सकती है। सरकार ने काबुली चने पर सीमा शुल्क 40% से बढ़ा कर 60% कर दिया है। मौजूदा रबी सीजन में दालों के अधिक उत्पादन अनुमान के बाद कीमतों में भारी गिरावट के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। (शेयर मंथन, 21 मार्च 2018)
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