कॉटन (फरवरी) की कीमतों में 20,800 रुपये के सहारा स्तर से रिकवरी दर्ज की जा सकती है।
आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतों में 21 से 26 अंकों की बढ़त दर्ज की गयी है। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और फेड द्वारा ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नही करने के बाद अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने से भी कॉटन की कीमतों को मदद मिली। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध के 90 दिनों के विराम में से अब कुछ दिन बचे हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच किसी प्रकार का समझौता होने को लेकर अनिश्चिता बरकरार है।
ग्वारसीड वायदा (फरवरी) की कीमतों में 4,240 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ स्थिरता रह सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (फरवरी) की कीमतों के 8,570 रुपये से ऊपर ही रहने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग द्वारा एल्नीनो और ला-नीनो के अनुमान से संकेत मिलता है कि इस वर्ष इन दोनों का कोई असर नहीं होने की संभावना है। एल्नीनो के दौरान मॉनसून के कम रहने की संभावना है और यदि अनुमान सही होता है तो 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में ग्वार का उत्पादन बाधित हो सकता है और कीमतों को मदद मिल सकती है।
चना वायदा (मार्च) की कीमतों में 4,150 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। नाफेड द्वारा चना की बिकवाली, खासतौर से राजस्थान और मध्य प्रदेश में बढ़ोतरी के दबाव और सरकारी भंडार में बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार में चना में नरमी का रुझान देखा जा रहा है। सरकारी एजेंसियों द्वारा कम कीमतों पर बिकवाली जारी रहने की संभावना और नयी फसल की आवक में बढ़ोतरी रहने की संभावना से सेंटीमेंट अभी भी कमजोर है। (शेयर मंथन, 31 जनवरी 2019)
ग्वारसीड वायदा (फरवरी) की कीमतों में 4,240 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ स्थिरता रह सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (फरवरी) की कीमतों के 8,570 रुपये से ऊपर ही रहने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग द्वारा एल्नीनो और ला-नीनो के अनुमान से संकेत मिलता है कि इस वर्ष इन दोनों का कोई असर नहीं होने की संभावना है। एल्नीनो के दौरान मॉनसून के कम रहने की संभावना है और यदि अनुमान सही होता है तो 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में ग्वार का उत्पादन बाधित हो सकता है और कीमतों को मदद मिल सकती है।
चना वायदा (मार्च) की कीमतों में 4,150 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। नाफेड द्वारा चना की बिकवाली, खासतौर से राजस्थान और मध्य प्रदेश में बढ़ोतरी के दबाव और सरकारी भंडार में बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार में चना में नरमी का रुझान देखा जा रहा है। सरकारी एजेंसियों द्वारा कम कीमतों पर बिकवाली जारी रहने की संभावना और नयी फसल की आवक में बढ़ोतरी रहने की संभावना से सेंटीमेंट अभी भी कमजोर है। (शेयर मंथन, 31 जनवरी 2019)
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