कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतें साप्ताहिक सहारा स्तर 21,495 रुपये से नीचे टूटने के नजदीक है।
यदि ऐसा हुआ तो कीमतों में 21,200 रुपये के स्तर तक गिरावट हो सकती है। आईसीई कॉटन वायदा की कीमतें दो महीने के निचले स्तर पर कारोबार कर रही है और विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार करार नहीं होने के कारण कीमतों को झटका लग रहा है। ऐसी खबरें हैं कि यू.एस. और चीन के बीच अभी भी कई रास्ते हो सकते हैं, जिससे चीन टैरिफ और कार्रवाई के बाद भी वार्ता को लम्बा खींचने के लिए कुछ रियायतें दे सकता है। एक दूसरे के अलग-अलग कदमों को देखते हुए दोनों पक्ष समझौते को समाप्त कर सकते हैं, या चीन फिर से वार्ता के लिए वापसी कर सकता है, जहाँ वे एक सप्ताह पहले थे और जून में जापान में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षर किये जाने वाले सौदे पर काम कर रहे थे। घरेलू बाजार में चिंता का विषय है कि कपड़ा मिलों के लिए अच्छी क्वालिटी की कमी के कारण भारत में मौजूदा फसल वर्ष (अक्टूबर 2018 से सितंबर 2019) के बीच कपास के आयात में 80% तक वृद्धि होने की संभावना से लंबे समय के अंतराल के बाद, सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदारी और कम आपूर्ति के कारण चना वायदा की कीमतों में उछाल दर्ज की गयी है। आगामी दिनों में, जून कॉन्ट्रैक्ट की कीमतें 4,440 रुपये के स्तर पार सहारा के साथ 4,600 रुपये तक पहुँचने की उम्मीद है।
ग्वार सीड वायदा (जून) की कीमतें 4,400-4,475 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार कर सकती है जबकि ग्वारगम वायदा (जून) की कीमतें 8,875-9,025 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। ग्वारगम-ग्वारसीड अनुपात के कम होकर 0.99 होने से संकेत मिल रहा है कि मिलों की ओर से सुस्त माँग के कारण बिकवाली हो रही हैं। यू.एस. और चीन के बीच व्यापार तनाव के कारण अंतर्राष्टीय बाजार में तेल की कीमतों में उठापटक से ग्वारगम की माँग कम हो सकती हैं। (शेयर मंथन, 13 मई 2019)
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