कपास वायदा (जुलाई) की कीमतों में 21,000-21,350 रुपये तक गिरावट हो सकती है।
विश्व कपास बाजार में कीमतों के तीन वर्षो के निचले स्तर पर पहुँचने के कारण कीमतों में नरमी का रुझान है। अमेरिकी निर्यात कम होने और खपत में धीमेपन के कारण विश्व बाजार में कपास की आपूर्ति बढ़ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि अमेरिकी किसानों से कृषि उत्पाद खरीदने के वादे को चीन पूरा नही कर रहा है। इस बीच हेज फंडों का मानना है कि कपास की कीमतों में गिरावट जारी रह सकती है। भारत में पिछले वर्ष छिटपुट बारिश के कारण कम उत्पादकता के बावजूद गुजरात के किसान मौजूदा खरीफ सीजन में कपास की खेती कर रहे हैं। गुजरात में कपास की बुआई महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध प्रदेश और तेलंगाना की तुलना में अधिक क्षेत्रों में हो रही है।
आपूर्ति में कमी के कारण मक्का वायदा (अगस्त) की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर 2,254 रुपये के नजदीक कारोबार कर रही हैं। आगामी दिनों में इस तेजी के रुझान के 2,350 रुपये तक जारी रहने की संभावना है। सरकार ने 2019-20 (अप्रैल-मार्च) में 4,00,000 टन अतिरिक्त मक्का आयात करने की अनुमति दी है, लेकिन इससे कीमतों की तेजी पर रोक लगने की संभावना नही है, क्योंकि यूक्रेन की गैर जीन संवर्धित मक्का की ढुलाई रहित कीमत 195-200 डॉलर प्रति टन है, जो भारतीय आयातकों के लिए महँगा है।
कैस्टरसीड वायदा (अगस्त) की कीमतें 5,700 रुपये के स्तर को पार कर 5,750-5,800 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती हैं। गुजरात के हाजिर बाजारों में आवक में कमी और घरेलू स्टॉकिस्टों एवं निर्यातकों की ओर से अधिक माँग के कारण कीमतों में तेजी का रुझान है। नवीनतम आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून के दौरान भारत ने जून महीने में 15,3596 टन कैस्टरमील का निर्यात किया है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 41,017 टन निर्यात किया था। (शेयर मंथन, 15 जुलाई 2019)
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