कपास वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 1,090 रुपये के नजदीक सहारा रहने की संभावना है और कीमतों में 1,100 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है।
मिलों की ओर से मांग और फसल नुकसान की चिंता के कारण दक्षिण और मध्य भारत के प्रमुख बाजारों में कपास की कीमतों में तेजी के रुझान के साथ स्थिरता है।
महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश के कारण फसल की आवक में 15 दिनों की देरी होने की संभावना हैं। राज्य में 43 लाख हेक्टेयर में से कुल 19 लाख हेक्टेयर की फसल के नुकसान होने की खबर है। इस बीच आयातित कपास की कीमतें 38,000 रुपये प्रति कैंडी है, जबकि घरेलू कपास की कीमतें 42,500 रुपये प्रति कैंडी होगी है। नुकसान हुई फसल में नमी की मात्रा काफी अधिक है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आईसीई में कॉटन की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन डॉलर के मजबूत होने के कारण कीमतों पर दबाव है। निवेशक अमेरिकी कृषि विभाग द्वारा विश्व कृषि आपूर्ति और माँग अनुमान के आँकड़ों का इंतजार कर रहे हैं।
चना वायदा (नवंबर) की कीमतों के 4,535 रुपये के बाधा स्तर पर पहुँचने की संभावना है, लेकिन कीमतों में अधिक बढ़ोतरी की संभावना नहीं है, क्योंकि मिलों की ओर से सुस्त माँग के साथ बेसन की कम बिक्री के कारण कीमतों में गिरावट हो सकती है।
मेंथा तेल वायदा (नवंबर) की कीमतों में 1,260-1,265 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 1,275 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। जाड़े के दिनों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के लिए फार्मा कंपनियों की ओर से खरीदारी के कारण निचले स्तर पर खरीदारी और पिछले चार हफ्ते से एमसीएक्स से मान्यता प्राप्त गोदामों में मेंथा तेल के कम होते स्टॉक के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। (शेयर मंथन, 06 नवंबर 2019)
महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश के कारण फसल की आवक में 15 दिनों की देरी होने की संभावना हैं। राज्य में 43 लाख हेक्टेयर में से कुल 19 लाख हेक्टेयर की फसल के नुकसान होने की खबर है। इस बीच आयातित कपास की कीमतें 38,000 रुपये प्रति कैंडी है, जबकि घरेलू कपास की कीमतें 42,500 रुपये प्रति कैंडी होगी है। नुकसान हुई फसल में नमी की मात्रा काफी अधिक है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आईसीई में कॉटन की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन डॉलर के मजबूत होने के कारण कीमतों पर दबाव है। निवेशक अमेरिकी कृषि विभाग द्वारा विश्व कृषि आपूर्ति और माँग अनुमान के आँकड़ों का इंतजार कर रहे हैं।
चना वायदा (नवंबर) की कीमतों के 4,535 रुपये के बाधा स्तर पर पहुँचने की संभावना है, लेकिन कीमतों में अधिक बढ़ोतरी की संभावना नहीं है, क्योंकि मिलों की ओर से सुस्त माँग के साथ बेसन की कम बिक्री के कारण कीमतों में गिरावट हो सकती है।
मेंथा तेल वायदा (नवंबर) की कीमतों में 1,260-1,265 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 1,275 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। जाड़े के दिनों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के लिए फार्मा कंपनियों की ओर से खरीदारी के कारण निचले स्तर पर खरीदारी और पिछले चार हफ्ते से एमसीएक्स से मान्यता प्राप्त गोदामों में मेंथा तेल के कम होते स्टॉक के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। (शेयर मंथन, 06 नवंबर 2019)
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