कॉटन वायदा (अगस्त) की कीमतों को 16,250 रुपये के पास सहारा मिलने की उम्मीद है, जबकि कीमतों में 16,430 रुपये तक बढ़ोतरी हो सकती है।
मौजूदा सीजन घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उत्पादन क्षेत्रों में कमी के कारण कीमतों में तेजी का रुझान है। ऐसी खबरें है कि कमजोर बारिश के कारण गुजरात में कपास का उत्पादन क्षेत्रों 9% कम हो गया है। इसके अलावा, राजस्थान के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में टिड्डियों के नये झुंड के नये आगमन की संभावना है। इस बीच आपूर्ति बाधित हो सकती है क्योंकि किसानों के पास सीमित आपूर्ति है और नयी फसल के नवंबर से पहले बाजारों में आने की संभावना नहीं है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, अमेरिकी फसल की खराब होती स्थिति के कारण आईसीई में कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों में एक हफ्र्ते के निचले स्तर से बढ़ोतरी हुई है जबकि चीन ऑर अमेरिका के बीच तनाव को लेकर अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। हांगकांग और चीन के अधिकारियों पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाये जाने के बाद चीन ने भी अमेरिका के रिपब्लिकन सांसदों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
चना वायदा (सितम्बर) की कीमतों में तेजी देखी जा रही है और कीमतें 4,240 रुपये के पास सहारा के साथ 4,280-4,300 रुपये तक बढ़ सकती है। हाजिर बाजारों में मौजूदा मूल्य स्तर मिलों के लिए काफी आकर्षक है और यहाँ तक कि दीवाली तक उत्सव की अवधि शुरू होने के कारण आने वाले दिनों में खपत बढ़ने की संभावना है।
ग्वार समूह की कीमतों में तेजी का रुझान है क्योंकि पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण राजस्थान में ग्वार की खेती कम हो गयी है। ताजा आँकड़ों के अनुसार, गुजरात के साथ-साथ पूर्वी राजस्थान में 49% कम बारिश हुई है, जबकि पश्चिम राजस्थान में 32% कम बारिश हुई है। दूसरी बात यह है कि ग्वारसीड का कोई खास आवक नहीं हो रही है जबकि अमेरिका और यूरोप से फूड ग्रेड ग्वार गम की माँग है। दोनों काउंटरों के सितंबर कॉन्टैंक्ट के क्रमशः 4,030 और 6,680 रुपये तक बढ़ने की संभावना है। (शेयर मंथन, 11 अगस्त 2020)
चना वायदा (सितम्बर) की कीमतों में तेजी देखी जा रही है और कीमतें 4,240 रुपये के पास सहारा के साथ 4,280-4,300 रुपये तक बढ़ सकती है। हाजिर बाजारों में मौजूदा मूल्य स्तर मिलों के लिए काफी आकर्षक है और यहाँ तक कि दीवाली तक उत्सव की अवधि शुरू होने के कारण आने वाले दिनों में खपत बढ़ने की संभावना है।
ग्वार समूह की कीमतों में तेजी का रुझान है क्योंकि पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण राजस्थान में ग्वार की खेती कम हो गयी है। ताजा आँकड़ों के अनुसार, गुजरात के साथ-साथ पूर्वी राजस्थान में 49% कम बारिश हुई है, जबकि पश्चिम राजस्थान में 32% कम बारिश हुई है। दूसरी बात यह है कि ग्वारसीड का कोई खास आवक नहीं हो रही है जबकि अमेरिका और यूरोप से फूड ग्रेड ग्वार गम की माँग है। दोनों काउंटरों के सितंबर कॉन्टैंक्ट के क्रमशः 4,030 और 6,680 रुपये तक बढ़ने की संभावना है। (शेयर मंथन, 11 अगस्त 2020)
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