सोयाबीन वायदा (सितम्बर) की कीमतों को 3,670 रुपये के पास सहारा रहने की संभावना है।
पिछले 45 दिनों में सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में कम बारिश के कारण कीमतों की गिरावट पर रोक लगी रह सकती है। पर्याप्त बारिश के अभाव में फफूंद के साथ-साथ सफेद मक्खियों का भी हमला हुआ है जिसके कारण फूल मुरझा रहे हैं।
सरसों वायदा (सितम्बर) की कीमतों के 5,050-5,150 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना है। अंचार निर्माताओं की ओर से सरसों तेल की बढ़ी हुई माँग और कम होती आवक के कारण कीमतों में तेजी बरकरार रह सकती है।
सोया तेल (सितम्बर) की कीमतों को 876 रुपये के स्तर पर रुकावट का सामना करना पड़ सकता है, जबकि सीपीओ (अगस्त) की कीमतें 745-752 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। त्योहारी सीजन के बावजूद कमजोर माँग और सस्ते आयातित तेल की पर्याप्त उपलब्धता के कारण इंदौर की मंडियों में सोया और अन्य तेलों की कीमतों की बढ़त पर रोक लग गयी है। कारोबारियों के अनुसार खाद्य तेलों की बिक्री, जो महामारी के प्रकोप के कारण बाधित हुई थी, वह फिर से बढ़ रही है, लेकिन बिक्री की गति उम्मीदों के अनुकूल नहीं और इसके कोविड से पहले के स्तर तक पहुँचने में चार से छह महीने और लगेंगे। आपूर्ति भी अधिक हो रही है और हाल के आँकड़ों से पता चलता हैं कि जुलाई 2020 में खाद्य तेलों का आयात 15,17,350 टन हुआ है जो जुलाई 2019 में 13,47,882 टन की तुलना में 13% अधिक है। यह तेल वर्ष 2019-20 के पिछले ग्यारह महीने में सबसे अधिक आयात है। आगे कारोबारियों को सतर्क रहने की जरुरत है और अमेरिकी सोयाबीन पेराई पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जो नेशनल ऑयलसीड प्रोसेसर्स एसोसिएशन (एनओपी) की रिपोर्ट से पहले रॉयटर्स के अनुसार जुलाई में संभवतः चार महीने के उच्च स्तर पर पहुँच गया है। (शेयर मंथन, 17 अगस्त 2020)
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