कॉटन वायदा (अगस्त) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 17,000-17,100 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है।
घरेलू कपास की कीमतों में वृद्धि हुई है क्योंकि विदेशी कंपनियों और कताई मिलों की ओर से खरीद में तेजी आयी है। कपास की घरेलू माँग ज्यादातर कताई मिलों की ओर से हुई है जो अब 80% क्षमता पर चल रही है। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने लगभग एक महीने पहले कपास की नीलामी शुरू की थी और वह 170 किलो के लगभग 50 लाख बेल को बेचने में सफल रही है और कीमतें 36,500 रुपये के मुकाबले 38,500 रुपये प्रति कैंडी तक बढ़ गयी हैं। इससे घरेलू कीमतों में वृद्धि हुई है।
ग्वारसीड वायदा (सितम्बर) की कीमतों 4,070-4,150 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (सितम्बर) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 6,300-6,500 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार कर सकती है। अमेरिका, चीन और रूस में तेल अन्वेषण क्षेत्रों और यूरोप में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों की ओर से माँग में बढ़ोतरी हुई है और सितम्बर तक आयातकों से अधिक ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। प्रमुख खरीदारों में वर्तमान में श्लंबरगर, हॉलिबर्टन और बेकर ह्यूजेस जैसी अमेरिकी कंपनियां प्रमुख हैं। चीन के नेशनल पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और रशियन फर्जी गजप्रॉम नेफ्ट और टैटनेफ्ट की ओर से भी माँग शुरू हो गयी है। राजस्थान के प्रमुख बुवाई क्षेत्रों में बारिश के असमान प्रसार से भी कीमतों को मदद मिल रही है।
चना वायदा (सितम्बर) की कीमतों में तेजी दिख रही है और कीमतों 4,600-4,650 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। प्रमुख हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में 50-150 रुपये प्रति 100 किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है। मिलों द्यारा तत्काल आवश्कताओं को पूरा करने के लिए अधिक माँग के कारण कीमतों को मदद मिल रही है। सस्ती कीमतों और आसान उपलब्धता के कारण सफेद मटर प्रति बेसन प्रति दाल की माँग के बजाय चना प्रति काबुली चना की माँग अधिक हो गयी। अर्थव्यवस्था के लॉकडाउन से बाहर निकलने के साथ ही खपत बढ़ने की संभावना है और त्यौहारी सीजन की माँग के कारण भी कीमत बढ़ रही है। (शेयर मंथन, 25 अगस्त 2020)
Add comment