हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों में लगातार तीसरे सप्ताह गिरावट के साथ 5,650-5,600 रुपये के स्तर प पहुँचने की संभावना है।
आने वाले दिनों में आपूर्ति का दबाव बढ़ने की संभावना है क्योंकि हल्दी की नयी फसल के अगले कुछ हफ्तों में बाजार में उतरने की उम्मीद हैए और पहले से ही हाजिर बाजार 45 लाख बैग (प्रत्येक 60 किलोग्राम) का कैरी फॉरवर्ड स्टॉक है। कमजोर माँग के कारण स्थानीय और घरेलू दोनों बाजारों में कीमतें भी लगातार कम हो रही हैंए इसलिए कारोबारी काफी सावधानीपूर्वक भाव लगा रहे है और समान खरीद रहे हैं। कभी गोल्डेन फसल के रूप में पहचानी जाने वाली इस पीले मसाले की खेती से किसान मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं। एक एकड़ जमीन पर एक किसान को 20 क्विंटल हल्दी मिल सकती है। खेती की लागत 1.50 लाख रुपये प्रति एकड़ होती है जो प्रति क्विंटल लगभग 7,500 रुपये प्रति क्विंटल होती हैं।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 13,850-13,800 रुपये तक लुढ़कने की संभावना है। कृषि निदेशालय (गुजरात) के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार इस सीजन में किसानों ने 9 नवंबर तक 10,743 हेक्टेयर में जीरा की बुआई की है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 462 हेक्टेयर में बुआई हुई थी। हाजिर बाजारों में सेंटीमेंट काफी कमजोर है क्योंकि स्टॉकिस्ट बुवाई प्रगति के साथ-साथ निर्यात माँग पर भी नजर रखे हुये है, जो काफी सुस्त है।
धनिया वायदा (दिसंबर) को 6,630 रुपये के पास प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है, कीमतों में वृद्धि के बाद बिकवाली देखी जा सकती है और कीमतें 6,500-6,450 रुपये के स्तर तक लुढ़क सकती है। हाजिर बाजारों से रुझानों की कमी के कारण भी गिरावट हो रही है। राजस्थान के प्रमुख व्यापारिक केंद्र कोटा में 8,000 बैग धनिया की आवक दर्ज की गयी है। (शेयर मंथन, 19 नवंबर 2020)
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