कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतें 21,900-22,200 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिर कीमतें और उच्च घरेलू निर्यात की अधिक संभावना से काउंटर को मदद मिल रहा हैं। अमेरिकी डॉलर के एक सप्ताह के निचले स्तर पर फिसलने और अमेरिकी संघीय सरकार की साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार अधिक अमेरिकी निर्यात बिक्री के कारण आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतों में बढ़त देखी जा रही है।
ग्वारसीड (अप्रैल) की कीमतों में नरमी का रुझान है और कीमतें 3,800-3,750 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती है, जबकि ग्वारगम (अप्रैल) वायदा की कीमतों में 5,900-5,850 रुपये तक गिरावट की उम्मीद है। ऐसी खबर है कि ग्वारगम मिलें नयी खरीद में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रही है क्योंकि इस तथ्य के बावजूद कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें पाँच महीने के उच्च स्तर पर हैं, निर्यात माँग में तेजी नहीं आ रही है। ग्वारगम, कोरमा और चूरी की मौजूदा कीमतें मिलों के लिए लाभदायक नहीं हैं इसलिए कई मिलें पहले ही उत्पादन बंद कर चुकी हैं। सस्ते पशु आहार की मिलावट के कारण माँग में कमी से चूरी की कीमतों पर भी दबाव बना हुआ है। वर्तमान परिदृश्य में हाजिर बाजार से आने वाले संकेतों से पता चलता है कि इन काउंटरों को समर्थन मिलने की संभावना नहीं है।
चना वायदा (अप्रैल) की कीमतों में तेजी जारी रहने की उम्मीद है और कीमतें 5,200 रुपये के स्तर तक पहुँच सकती है। त्योहारी सीजन से पहले, स्टॉकिस्टों की काफी तादात गुजरात की विभिन्न मंडियों से चना जमा करने के लिए मंडियों में प्रवेश कर गयी है। थोक खरीदार पहले से ही महाराष्ट्र में सक्रिय हैं और बड़ी मात्रा में मंडियों में खरीदारी कर रहे हैं जबकि आवक कम है। वर्तमान में, इंदौर में बेंचमार्क बाजार में कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,100 रुपये के पास हैं। खबरों के अनुसार नॉफेड ने 2019-20 (जुलाई-जून) रबी सीजन में उत्पादित चना पर जनवरी में दी गई 5-10% छूट को वापस ले लिया है। (शेयर मंथन, 15 मार्च 2021)
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