कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 21,350 रुपये के नजदीक सहारा रहने की संभावना है। अमेरिका, ब्राजील, पश्चिम अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों की तुलना में भारतीय कपास की कीमत कम है।
वर्तमान में, भारतीय कपास की निर्यात कीमत 45,300-45,700 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) प्रस्तावित है। इसके विपरीत, न्यूयॉर्क में कपास 79.90 सेंट प्रति पाउंड (47,050 रुपये प्रति कैंडी) पर बिक कर रहा है। डॉलर के तीन हफ्ते के निचले स्तर पर पहुँचने के कारण आईसीई में कॉटन वायदा (मई) की कीमतों में बढ़त देखी जा रही है। पश्चिम टेक्सास में कपास की बुआई करने से पहले बहुत अधिक बारिश की आवश्यकता होती है और दक्षिण टेक्सास के रियो ग्रांडे वैली में भी गर्मियों के कारण सूखे मौसम से बुआई कम हो सकती है।
ग्वारसीड (मई) की कीमतें 4,200-4,300 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती है। इसी तरह, ग्वारगम (मई) की कीमतें 6,450-6,500 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती है। तेल की माँग में सुधार और चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका में मजबूत आर्थिक सुधारों के कारण कच्चे तेल की कीमतों में इस हफ्ते 6% से अधिक की बढ़त देखी जा रही है। लेकिन कोविड -19 संक्रमणों में उछाल को लेकर चिंता बरकरार है।
चना वायदा (मई) की कीमतों में तेजी देखी जा सकती है और आने वाले त्योहारों के मौसम के दौरान बेहतर माँग की उम्मीद के कारण कीमतें 5,635 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 5,800-5,850 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। इसके अलावा, सरकार ने प्रमुख बाजारों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की शुरुआत की है। सरकारी एजेंसी नेफेड ने आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात में 1.52 लाख टन चना खरीदा है। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2020-21 सीजन में रिकॉर्ड 116 लाख टन चना उत्पादन का अनुमान है। (शेयर मंथन, 16 अप्रैल 2021)
Add comment