सोयामील की निर्यात माँग के कारण राष्ट्रीय एक्सचेंजों पर सोयाबीन वायदा की कीमतें इस साल 4,400 के स्तर से 60% से अधिक की बढ़त दर्ज करते हुये अब तक के उच्च स्तर 7,100 रुपये पर पहुँच गया है।
लेकिन आगामी दिनों में सतर्क रहना चाहिये क्योंकि फंडामेंटल यह संकेत दे रहे हैं कि घरेलू बाजार में माँग कम हो रही है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने अनुमान लगाया है कि सोयाबीन की अधिक कीमतों के कारण पोल्ट्री की ओर से माँग में 1 लाख टन कमी का अनुमान है और आहार निर्माताओं की ओर से भी माँग में कमी आयी है। यहाँ तक कि सोयामील की माँग कम होने के कारण पूरे वर्ष में पेराई के लिए 95 लाख टन के पहले के अनुमान से घटाकर 93.5 लाख टन कर दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, ब्राजील के सोयाबीन की फसल में तेजी जारी है और आने वाले दिनों में अमेरिकी सोयाबीन के निर्यात पर दबाव पड़ने की संभावना है।
सरसों वायदा की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर 7,215 रुपये पर कारोबार कर रही है, जो मार्केटिंग सीजन 2021-22 के लिए तय 4,650 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी और 2415 रुपये प्रति क्विंटल के उत्पादन लागत से अधिक है।
सोया तेल की तुलना में सरसों तेल की माँग बढ़ रही है, इसका कारण यह है कि यह स्वास्थ्यकर होता है और लोगों में वसा बढ़ाने में योगदान नहीं करता है। खाद्य तेल की कीमतें भी अब तक के उच्चतम स्तर पर है, और सीबोट में सोयाबीन तेल की कीमतों में तेजी और देश में बढ़ती खपत के कारण इस साल 30% से अधिक की बढ़त दर्ज की गयी है। अब इन काउंटरों की तेजी पर रोक लग सकती है और समान प्रतिशत में बढ़त नहीं हो सकती हैं क्योंकि वनस्पति तेलों का आयात हाल के दिनों में अधिक रहा है और दूसरी बात यह है कि विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन लागू होने से होरेका सेक्टर की माँग प्रभावित हो सकती है। (शेयर मंथन, 19 मार्च 2021)
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