एमसीएक्स पर कॉटन वायदा (जून) की कीमतों में तेजी का रुझान है और कीमतें 24,000-24,500 रुपये के उच्च स्तर पर पहुँच सकती हैं।
घरेलू बाजार में, कताई मिलों की ओर से बढ़ती माँग और किसानों के पास लगभग कोई स्टॉक नहीं होने के कारण कपास की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, जबकि स्टॉकिस्ट कम कीमत पर नहीं बेच रहे हैं। सीसीआई बिक्री मूल्य बढ़ा रहा है, इसलिए राज्यों की मंडियों में कपास की कीमतें बढ़ रही हैं। मिलों को अगले दो से ढाई महीने की खपत के लिए कपास के स्टॉक की जरूरत है। वैश्विक स्तर पर कपास मिलों के उपयोग में 2020 के वसंत और गर्मियों के दौरान वैश्विक कपास आपूर्ति श्रृंखला में कताई से लेकर खुदरा क्षेत्र तक बाधओं के बाद अब उछाल दर्ज किये जाने का अनुमान है। आम तौर पर विश्व स्तर पर कपास की खपत वैश्विक आर्थिक गतिविधियों का अनुसरण करती है। भारत में 2021-22 में कपास की खपत 2 मिलियन बेल (8.5 प्रतिशत) बढ़कर रिकॉर्ड 25.5 मिलियन बेल होने का अनुमान है।
ग्वारसीड और ग्वारगम वायदा (जून) की कीमतों में क्रमशः 4,100-4,050 रुपये और 6,250-6,100 रुपये के स्तर तक गिरावट जारी रहने की संभावना है। हाल के दिनों में, देशव्यापी तालाबंदी के कारण ग्वारगम निर्यात में गिरावट हुई है, जिसने औद्योगिक गतिविधियों को बाधित किया है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की माँग धीमी हुई है। दूसरे, गुजरात कृषि विभाग के नवीनतम आँकड़ों से पता चलता है कि इस सीजन में 10 मई तक बुवाई का रकबा पिछले साल के 1,702 की तुलना में 1,807 हेक्टेयर हो गया है।
चना वायदा (जून) की कीमतों के 5,100-5,350 रुपये के दायरे में मजबूत होने की संभावना है। कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2020-21 में चना उत्पादन 2019-20 में 11.1 मिलियन टन से बढ़कर 12.6 मिलियन टन होने की उम्मीद है। दूसरे, लॉकडाउन प्रतिबंधें के कारण घरेलू बाजारों में चने की माँग कमजोर है। (शेयर मंथन, 31 मई 2021)
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