बिकवाली के कारण हल्दी वायदा (नवंबर) की कीमतों में शुक्रवार को 1.8% की गिरावट हुई है और अब 7,440 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 7,150 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है।
आने वाले सीजन में अच्छे उत्पादन की उम्मीद के कारण पिछले कुछ हफ्तों से कीमतों में गिरावट हुई है, लेकिन निर्यात से बेहतर माँग की उम्मीद से कीमतों को समर्थन मिल सकता है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 5 महीनों (अप्रैल-अगस्त) में, हल्दी का निर्यात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 25% घटकर 64,600 टन टन रह गया, लेकिन 5 साल के औसत लगभग बराबर है।
जीरा वायदा (नवंबर) की कीमतों में शुक्रवार को 0.5% की गिरावट हुई है और अब कीमतों के 15,080 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ 14,700 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। त्योहारी माँग अब धीमी हो रही है लेकिन निर्यात के लिए पूछताछ से कीमतों को मदद मिल रही है। इस वर्ष खराब मौसम के कारण सीरिया और तुर्की में जीरा का उत्पादन सीमित हुआ है जिससे भारतीय जीरे की माँग बढ़ जाती है। लेकिन अप्रैल-अगस्त में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 12% घटकर 1.24 लाख टन रह गया है लेकिन आने वाले महीनों में इसमें बढ़ोतरी की उम्मीद है।
धनिया वायदा (नवंबर) में उच्च स्तर पर मुनाफा वसूली देखी गयी और अब आने वाले दिनों में नरमी के रुझान के साथ 7,900 रुपये के स्तर तक कारोबार करने की उम्मीद है जबकि अड़चन 8,140 रुपये के स्तर पर देखा जा रहा है। गुजरात और राजस्थान की मंडियों में लगातार माँग के बीच आवक बढ़ने की संभावना के कारण व्यापारी और स्टॉकिस्ट पुराने स्टॉक को बाजार में ला रहे हैं। अप्रैल-अगस्त की अवधि के दौरान निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 23,300 टन के मुकाबले 10% घटकर 21,000 टन रह गया है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 12.7% अधिक है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में देर से मानसून की बारिश आने वाले सीजन में धनिया के उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोतरी होने की संभावना है। (शेयर मंथन, 01 नवंबर 2021)
Add comment