हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतें 5 सप्ताह के निचले स्तर तक लुढ़क गयी है और कम कीमतों पर अच्छी माँग के कारण पिछले सप्ताह इसमें सुधार हुआ।
अब कीमतें 7,200 रुपये के समर्थन के साथ 8,000 रुपये के स्तर तक पहुँच सकती है। तेलंगाना में कम उत्पादन क्षेत्र और बेमौसम बारिश के कारण हल्दी का उत्पादन अनुमान से कम होने की आशंका से कीमतों में गिरावट पर रोक लग सकती है। निर्यात माँग बेहतर रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर) में, निर्यात पिछले साल के मुकाबले 26% घटकर 77,250 टन हो गया, लेकिन अभी भी 5 साल के औसत के बराबर है जबकि कीमतें इस वर्ष में वर्ष-दर-वर्ष 30% अधिक हैं।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतें लगातार चौथे सप्ताह मजबूती के साथ बंद हुई और सकारात्मक रुख के साथ 15,550-17,000 रुपये के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है। घरेलू और निर्यात दोनों मोर्चे से माँग बढ़ी है और आगे भी बढ़ने की उम्मीद है। इस सीजन में सीरिया और तुर्की में खराब मौसम के कारण के कारण जीरा का उत्पादन कम हुआ है, जिससे भारतीय जीरे की माँग बढ़ गयी है। फिर भी अप्रैल-सितंबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 14% घटकर 1.39 लाख टन रह गया है, लेकिन आगामी महीनों में इसमें सुधार की उम्मीद है। यद्यपि गुजरात में जीरा क्षेत्र में बढ़ोतरी जारी है जबकि पुराने स्टॉक बाजार में बड़ी मात्रा में उपलब्ध होंगे।
भौतिक माँग में बढ़ोतरी के कारण धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों में पिछले सप्ताह सकारात्मक कारोबार हुआ। अब कीमतें 8,000 रुपये पर मजबूत सहारा के साथ यदि 8,450 रुपये के स्तर को पार करती है तो 8,700 रुपये के स्तर तक बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है। राजस्थान और गुजरात में धनिया की बुवाई अभी तक नहीं हुई है। अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 28,000 टन की तुलना में 12.7% घटकर 24,500 टन रह गया है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में देर से हुई मानसूनी बारिश से आने वाले सीजन में धनिया की फसल का अच्छा रकबा देखने को मिलेगा। (शेयर मंथन, 15 नवंबर 2021)
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