अधिक आवक और रबी तिलहन की बुआई के कारण सोयाबीन वायदा (जनवरी) की कीमतों में पिछले सप्ताह गिरावट के साथ बंद हुई है।
अब कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 5,700-6,750 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। कीमतों को नियंत्राण में रखने के लिए राजस्थान और यूपी सरकार द्वारा स्टॉक की सीमा लगायी गयी है, लेकिन फिर भी कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 51% अधिक हैं क्योंकि किसान और व्यापारी अधिक कीमतों की उम्मीद में सीमित मात्रा में अपना उत्पाद बेच रहे है या नयी सीजन की फसल को रोक रहे हैं। इसी तरह तेल मिल मालिक और स्टॉकिस्ट भी सोयाबीन की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। सोपा के अनुसार, अक्टूबर में सोयाबीन की आवक पिछले साल के 18 लाख टन की तुलना में कम 15 लाख टन रही है। यूएसडीए की नवंबर की मासिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सोयाबीन का उत्पादन माह-दर-माह 8% बढ़कर 11.9 मिलियन टन हो गया है। हाल ही में, सरकार ने देश में जीएम सोयमील के अतिरिक्त आयात को मंजूरी नहीं देने का फैसला किया है, क्योंकि यह घरेलू खपत के लिए पर्याप्त उत्पादन करेगा। कमजोर अंतरराष्ट्रीय कीमतों और रबी तिलहन के अधिक उत्पादन अनुमान के कारण अगले सीजन में अच्छी आपूर्ति की उम्मीद को देखते हुये खाद्य तेल की कीमतें लगातार तीसरे सप्ताह गिरावट के साथ बंद हुई। इसके अलावा, जो बाइडेन प्रशासन द्वारा जैव ईंधन मिलावट के आदेश को वापस लेने के प्रस्ताव के बाद खाद्य तेल की कीमतों पर दबाव पड़ा। कम निर्यात और इंडोनेशिया में अधिक उत्पादन की खबरों से मलेशियाई पॉम तेल वायदा कीमतों में गिरावट हुई। नवम्बर में इंडोनेशिया का उत्पादन 2%-3% अधिक हुआ है। एसईए के अनुसार, अक्टूबर में खाद्य तेल आयात माह-दर-माह 38.4% कम हुआ है, जबकि पोर्ट पर स्टॉक माह-दर-माह 15% कम रहा है।
रिफाइंड सोया तेल वायदा (जनवरी) की कीमतें 1,142 रुपये पर सहारा और 1,220 रुपये पर अड़चन के साथ कारोबार कर सकती है जबकि सीपीओ वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 1,053-1,129 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार करने क संभावना है। (शेयर मंथन, 15 दिसंबर 2021)
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