आवक में बढ़ोतरी की संभावना और सोया तेल के अधिक के कारण सोयाबीन वायदा (जनवरी) की कीमतों में कल तीसरे दिन गिरावट हुई।
अब कीमतों के 6,300 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ 6,030 रुपये तक सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना है। कीमतों को नियंत्राण में रखने के लिए राजस्थान और यूपी सरकार द्वारा स्टॉक की सीमा लगायी गयी है, लेकिन फिर भी कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 51% अधिक हैं क्योंकि किसान और व्यापारी अधिक कीमतों की उम्मीद में सीमित मात्रा में अपना उत्पाद बेच रहे है या नयी सीजन की फसल को रोक रहे हैं। इसी तरह तेल मिल मालिक और स्टॉकिस्ट भी सोयाबीन की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। सोपा के अनुसार, अक्टूबर-नवम्बर में सोयाबीन की आवक पिछले साल के 37 लाख टन की तुलना में 29 लाख टन रही है। यूएसडीए की नवंबर की मासिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सोयाबीन का उत्पादन माह-दर-माह 8% बढ़कर 11.9 मिलियन टन हो गया है। हाल ही में, सरकार ने देश में जीएम सोयमील के अतिरिक्त आयात को मंजूरी नहीं देने का फैसला किया है, क्योंकि यह घरेलू खपत के लिए पर्याप्त उत्पादन करेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नरमी रुझानों और खाद्य तेलों के अधिक आयात के कारण खाद्य तेल की कीमतों में कल गिरावट हुई। एसईए के आँकड़ों के अनुसार, भारत के वनस्पति तेल का आयात नवंबर में 11% बढ़कर 11.7 लाख टन हो गया।
सोया तेल का आयात भी 4.77 लाख टन से अधिक हुआ है। प्रतिद्वंद्वी तेलों में गिरावट और नवंबर में उम्मीद से अधिक स्टॉक के कारण मलेशियाई पॉम तेल वायदा की कीमतें कल ढ़ाई महीने के निचले स्तर पर लुढ़क गयी। आँकड़ों के अनुसार 1-15 दिसम्बर के बीच मलेशियाई पॉम तेल का निर्यात पिछले महीने की समान अवधि के मुकाबले 9-12.5% के बीच कम हुआ है।
रिफाइंड सोया तेल वायदा (जनवरी) की कीमतें 1,180 रुपये पर रुकावट के साथ 1,130 रुपये तक लुढ़क सकती है जबकि सीपीओ वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 1,044-1,084 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना है। (शेयर मंथन, 16 दिसंबर 2021)
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