हाजिर बाजारों में कमजोर माँग और बिकवाली के कारण हल्दी वायदा (जनवरी) की कीमतें शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुई है और अब कीमतें 9,060 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 8,700 रुपये के गिरावट हो सकती है।
देश के दक्षिणी हिस्सों में लगातार बारिश से फसल खराब होने की आशंका से कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 55% अधिक है। निर्यात के मोर्चे पर, मौजूदा वित्त वर्ष में तुलनात्मक रूप से कम निर्यात हुआ है, लेकिन आगे बढ़ोतरी की संभावना है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 7 महीनों (अप्रैल-सितंबर) में निर्यात पिछले साल के मुकाबले 23% घटकर 89,850 टन हो गया।
कम खरीदारी के कारण जीरा वायदा (जनवरी) की कीमतों में शुक्रवार को 0.3% की गिरावट हुई है। कीमतें 16,310 रुपये के स्तर पर अड़चन और 16,100 रुपये पर सहारा के साथ सीमित दायरे में कारोबार कर सकती हैं। हाजिर बाजार में बेहतर आवक की उम्मीद है क्योंकि गुजरात में जीरा के उत्पादन क्षेत्र में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। 29 नवंबर तक, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 1.71 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 3 लाख हेक्टेयर था, जबकि राजस्थान में 3.20 लाख हेक्टेयर में जीरा बोया गया था। अप्रैल-सितंबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 1.4% घटकर 1.39 लाख टन रह गया है।
नयी बिकवाली के कारण धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतों में शुक्रवार को गिरावट देखी गयी है। अब कीमतों के 8,450 रुपये के स्तर पर सहारा और 8,700 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ एक दायरे में कारोबार कर सकती है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में बुवाई जारी है, जबकि निर्यात अधिक गति से नहीं बढ़ रहा है। गुजरात में 29-नवंबर तक धनिया का रकबा 86,600 हेक्टेयर आंका गया है जो सामान्य क्षेत्र की तुलना में 100% है लेकिन पिछले साल यह 93,000 हेक्टेयर था। सरकारी आँकड़ों के अनुसार निर्यात अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान पिछले साल के 28,000 टन से 12.7 फीसदी घटकर 24,500 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। (शेयर मंथन, 27 दिसंबर 2021)
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