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कैस्टरसीड में गिरावट, कॉटन को 34,040-36,300 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना - एसएमसी

देश में कपास की कीमतों के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँचने के बाद आवक में बढ़ोतरी के कारण कॉटन वायदा (जनवरी) की कीमतों को 36,300 रुपये के स्तर पर मजबूत बाधा का सामना करना पड़ रहा है।

अब कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 34,040-36,300 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। उत्पादन में कमी की आशंका और निर्यात के लिए कच्चे कपास की अधिक माँग के कारण वर्तमान समय में कपास की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 66% अधिक हैं। सरकार ने हाल ही में कपास पर 10% आयात शुल्क जारी रखने के फैसले और कपास की स्टॉक सीमा को लेकर कोई कदम नहीं उठाने का फैसला किया है। सीएआई के आँकड़ों के अनुसार, नवंबर तक आवक लगभग 15% घटकर 77.76 लाख बेल रह गयी, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 91.57 लाख बेल आवक हुई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, एक अक्टूबर से शुरू हो रहे इस सीजन में अब तक राज्य की मंडियों में कपास की कुल आवक पिछले साल की तुलना में कम रही है, जिसके परिणामस्वरूप मिलों के पास कपास का बचा हुआ स्टॉक कम हो गया है। यूएसडीए की नवीनतम मासिक आँकड़ों के अनुसार 2021-22 में विश्व स्तर पर कपास उत्पादन 0.18% कम होकर 121.56 मिलियन बेल रह सकता है, लेकिन भारत में कपास उत्पादन में कोई बदलाव नहीं हुआ।
मुनाफा वसूली के कारण ग्वारसीड वायदा (फरवरी) की कीमतों में शुक्रवार को 0.8% की बढ़ोतरी हुई है। कीमतों के 6,180 रुपये पर सहारा के साथ 6,450 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। वर्तमान में, कम उत्पादन, कई वर्षो में कम स्टॉक और अच्छी निर्यात माँग की संभावना से कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 60% अधिक हैं। अक्टूबर में, ग्वारगम का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 60% बढ़कर 27,150 टन हो गया, जबकि 2021-22 (अप्रैल-सितंबर) में निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 46% बढ़कर 1.85 लाख टन हो गया।
कैस्टरसीड वायदा (फरवरी) की कीमतों में शुक्रवार को गिरावट हुई है और अब कीमतों के 5,870-6,020 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। पिछले एक महीने में अरंडी बीज की कीमतो में 10% की गिरावट हुई है क्योंकि सितंबर-नवंबर के दौरान निर्यात पिछले साल के 1.65 लाख टन की तुलना में 16% घटकर 1.39 लाख टन रह गया। इसी तरह, (अगस्त-नवंबर) के दौरान अरंडीमील के निर्यात में 32% की गिरावट हुई है। लेकिन कृषि मंत्रालय के अग्रिम अनुमानों के अनुसार कम रकबा होने के कारण अरंडी का उत्पादन पिछले तीन वर्षों में सबसे कम 15.98 लाख टन होने का अनुमान है। (शेयर मंथन, 10 जनवरी 2022)

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