नये सीजन की आवक की खबरों और युद्ध की स्थितियों के बीच यूरोपीय देशों को निर्यात प्रभावित होने की आशंका के कारण पिछले सप्ताह हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतें गिरावट के साथ बंद हुई।
हल्दी का नया सीजन हाजिर बाजार में दस्तक दे रहा है लेकिन कारोबारियों के अनुमान के मुकाबले आवक की मात्रा अभी भी कम है। इस सप्ताह कीमतें 10,050 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 8,660 रुपये तक लुढ़क सकती है। हाजिर बाजारों में हल्दी की कीमतें स्थिर रहीं, जबकि यूक्रेन और रूस के बीच तनाव के कारण यूरोप और अन्य देशों में मसालों का निर्यात बाधित होने की आशंका से वायदा कीमतों में तेजी से गिरावट हुई है। वर्तमान में, कम उत्पादन अनुमान और अधिक माँग की संभावना के कारण कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 12.5% अधिक हैं। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 9 महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में, निर्यात पिछले साल की तुलना में 20.7% घटकर 1,16,400 टन हो गया, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 8.8% अधिक है।
जीरा वायदा (मार्च) की कीमतों में लगातार आठ सप्ताह की तेजी के बाद पिछले सप्ताह गिरावट हुई है। युद्ध जैसी स्थिति के कारण निर्यात माँग प्रभावित होने की संभावना से वायदा बाजार में बिकवाली हुई है। इस सप्ताह भी कीमतों में गिरावट होने की संभावना है क्योंकि नये सीजन के जीरे की आवक भी बाजार में शुरू हो जायेगी और अगले एक महीने में अधिकतम आवक शुरू हो जायेगी। ऊँझा में पुरानी और नयी फसल की आवक पिछले सप्ताह 5,000 रुपये से कम बोरी की तुलना में प्रतिदिन लगभग 12,000-13,000 बोरी (1बोरी=55 किलोग्राम) हो गयी है। इस वर्ष में, जीरा की कीमतों में 27% से अधिक की वृद्धि हुई है और वर्तमान में, गुजरात और राजस्थान राज्य में अत्यधिक ओस के कारण कम उत्पादन और फसल के नुकसान के कारण कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 53.4% अधिक हैं। 2021-22 में, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 3.07 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 4. 69 लाख हेक्टेयर था और दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार उत्पादन पिछले वर्ष के 4 लाख टन की तुलना में 41% घटकर 2.37 लाख टन होने की उम्मीद है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-दिसम्बर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 24% घटकर 1.74 लाख टन रह गया है, जो पिछले वर्ष 2.30 लाख टन हुआ था।
धनिया वायदा (अप्रैल) पिछले सप्ताह उच्च स्तर पर भारी बिकवाली के तीन सप्ताह के निचले स्तर पर आ गया। अब रुकावट 11,300 रुपये के स्तर पर और सहारा 9,780 रुपये के स्तर पर दिख रहा है। अगर कीमतें 10500 रुपये के स्तर से नीचे टटू ती है तो कीमतें सहारा स्तर तक कारोबार कर सकती है। सामान्य की तुलना में कम रकबे के कारण वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 45.7% अधिक और जनवरी के बाद से 18.8% अधिक है, क्योंकि किसान पिछले साल कम आमदनी के कारण अन्य फसलों में स्थानांतरित हो गये है और कम उत्पादन की उम्मीद कर रहे है जबकि अधिक कीमतों के कारण नियार्त सामान्य है। सरकारी आँकडों के अनुसार अप्रलै-नवम्बर की अवधि के दौरान नियार्त पिछले साल के 43,100 टन से 13% घटकर 37,500 टन हुआ है। लेकिन 5 साल के औसतन की तुलना में 11% अधिक है। (शेयर मंथन, 28 फरवरी 2022)
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