अमेरिका में सूखे की स्थिति के कारण अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि होने से कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतों के पिछले सप्ताह 42,280 के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने के बाद कीमतों में तेजी जारी है।
अब यदि कीमतें 42,500 रुपये के बाधा स्तर को पार करती है तो 44,000 रुपये के स्तर तक बढ़ सकती है। उत्पादन में कमी की आशंका, धीमी आवक, बेहतर घरेलू और निर्यात माँग के कारण वर्तमान समय में कपास की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 99.65% अधिक हैं और नये साल में लगभग 19.2% बढ़ी है। देश से कपड़ा उत्पादों के अधिक निर्यात के कारण घरेलू माँग बढ़ रही है। दूसरे अग्रिम अनुमान में, सरकार ने पहले अनुमान के 362 लाख गांठ से देश में कपास उत्पादन को घटाकर 340 लाख गांठ कर दिया है जबकि धागों और कपड़ा उत्पादों के उच्च निर्यात के कारण घरेलू माँग बढ़ रही है।
आपूर्ति और माँग की संतुलित स्थिति के कारण ग्वारसीड वायदा (अप्रैल) का कारोबार पिछले सप्ताह 6,100-6,200 रुपये के बेहद सीमित दायरे में हुआ। कच्चे तेल की ऊँची कीमतों के कारण देश से ग्वारगम का निर्यात बढ़ रहा है। अब तत्काल सहारा 6,050 रुपये पर है और यदि कीमतें 6,300 रुपये के रुकावट स्तर को पार करती है तो 6,600 रुपये के स्तर तक कारोबार कर सकती है। वर्तमान में, पिछले 5 वर्षों में सबसे कम उत्पादन, कई वर्षो में कम स्टॉक और अच्छी निर्यात माँग की संभावना से कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 63.1% अधिक हैं। तेल-रिग की संख्या भी पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 248 रुपये अधिक है। एपीडा द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 में ग्वारगम का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 5% बढ़कर 22,300 टन हो गया है, जबकि 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) में निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 38.4% बढ़कर 2.64 लाख टन हुआ है।
अरंडी के डेरिवेटिव की अच्छी नियार्त माँग के कारण अरंडी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में तेजी बरकरार है। कीमतों को बाधा अब तक के उच्चतम स्तर 7,430 रुपये के स्तर पर है। कीमतों में अभी भी तेजी का रुझान है और यदि कीमतें रुकावट के स्तर को पार करती है तो 7,600 रुपये के स्तर तक बढ़ सकती है। अधिक माँग और कम उत्पादन अनुमान के कारण वर्तमान में अरंडी की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 63% अधिक है, जबकि इस वर्ष कीमतों में 24% से अधिक की वृद्धि हुई है। एर्सइए के आँकडों के मुताबिक, 2021-22 में भारत में अरंडी का उत्पादन 17.95 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है, जो 2020-21 में 17.89 लाख टन था। अप्रैल -जनवरी के दौरान अरंडी के तले का नियार्त पिछले साल के नियार्त 5.06 लाख टन के बराबर है।
मेंथा ऑयल (अप्रैल) पिछले सप्ताह 9 महीने के उच्च स्तर 1,107 रुपये पर पहुँच गयी, लेकिन कारोबारियों द्वारा मुनाफावसूली के कारण उच्च स्तर पर बरकरार नहीं रह सकी और 1,050 रुपये के स्तर तक फिसल गई। कीमतों तत्काल अड़चन 1,100 रुपये के स्तर पर है और सहारा 1,032 रुपये पर है। कीमतों में तेजी का रुझान है और आने वाले हफ्तों में 1,100 के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। इस सीजन में मेंथा का रकबा कम रहने की उम्मीद है क्योंकि उत्तर प्रदेश के किसानों के इस सीजन में कम रकबे में बुवाई करने की संभावना है। (शेयर मंथन, 28 मार्च 2022)
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