कच्चे तेल की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 2,890 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ 2,780 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 3,150 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 3,040 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों में नरमी रहने की संभावना है।
अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी और विश्व में कच्चे तेल के तीसरे बड़े उपभोक्ता भारत में कोविड-19 के मामलों में उछाल के बाद माँग में कमी आने की चिंता से तेल की कीमतें एक हफ्ते में सबसे कम हो गयी हैं।
कच्चे तेल की कीमतों में निचले स्तर से खरीदारी होने की संभावना हैं और कीमतों को 4,710 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ 4,620 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल में निचले स्तर पर खरीदारी होने की संभावना हैं और कीमतों को 4,595 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ 4,500 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल में निचले स्तर पर खरीदारी होने की संभावना हैं और कीमतों को 4,870 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 4,780 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल में निचले स्तर पर खरीदारी होने की संभावना हैं और कीमतों को 5,070 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 4,970 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल निचले स्तर पर खरीदारी होने की संभावना है और कीमतों को 5,140 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ 5,030 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों में निचले स्तर से उछाल दर्ज किये जाने की संभावना है।
कच्चे तेल की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 3,570 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ 3,490 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कल की तेज गिरावट के बाद आज शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) होने से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त दर्ज किये जाने की संभावना है।
आपूर्ति की तुलना में तेजी से बढ़ती माँग के कारण कच्चे तेल की कीमतों में साप्ताहिक स्तर पर बढ़ोतरी हुई है, जबकि टीकाकरण से दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमणों में फिर से बढ़ोतरी का प्रभाव कम होने की उम्मीद है।
कच्चे तेल की कीमतों में पिछले हफ्ते बढ़ोतरी हुई, क्योंकि अमेरिकी सरकार के आँकड़ों के अनुसार ईंधन की माँग कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी है।
अमेरिकी तेल भंडार में अनुमान से अधिक बढ़ोतरी होने और ईरान द्वारा पश्चिमी शक्तियों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की ने हरी झंडी दिखाने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में कम से कम आठ हफ्तों में पहली साप्ताहिक गिरावट हुई।
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यह एक संयोग है कि पिछले वर्ष की दीपावली के समय भी भारतीय शेयर बाजार कुछ ठंडा पड़ा था और इस साल भी बाजार में दीपावली के समय लाली ही ज्यादा बिखरी है। लेकिन पिछली दीपावली के समय जो थोड़ी निराशा बाजार में दिख रही थी, उस समय जिन निवेशकों ने सूझ-बूझ से नया निवेश किया, उन्हें अगले 1 साल में बड़ा सुंदर लाभ हुआ।
शेयर बाजार ने हाल में नये रिकॉर्ड स्तरों की ऊँचाइयाँ हासिल की हैं। लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप सभी तरह के शेयर खूब चले हैं, दौड़े हैं, कुछ तो उड़े भी हैं!