

बाजार में आयी गिरावट स्थानीय कारणों से नहीं बल्कि वैश्विक कारणों से ज्यादा आयी है। वैश्विक स्तर पर एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों से भारी बिकवाली के कारण यह गिरावट ज्यादा बड़ी हो गयी है। हालाँकि इन निकासियों (रिडेंप्शन) का अधिकतम जोर अब समाप्त होने की ओर है। भारत में खराब मानसून के कारण भी बाजार में आयी गिरावट तीखी हो गयी। हालाँकि निफ्टी के 7500 के आ जाने से ज्यादातर नकारात्मक बातें भावों में शामिल हो चुकी हैं। अगले साल विकास दर में अच्छा सुधार दिखेगा जिससे बाजार ऊपर चलेगा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) की बैठक के बाद थम जाने की उम्मीद है। अगर फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला करता है तो इक्विटी यानी शेयरों की ओर निवेश का काफी बड़ा प्रवाह आयेगा। कारण यह है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी से विकास दर को लेकर भरोसा बढ़ेगा। यह मानना ठीक नहीं है कि फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरें बढ़ने पर ऋण बाजार में निवेश बढ़ेगा, क्योंकि दरों में वृद्धि कभी ऋण बाजार के लिए अच्छी नहीं होती। आरामकुर्सी पर बैठने वाले अर्थशास्त्रियों के सिद्धांत काम नहीं करेंगे। जब फेडरल रिजर्व वृद्धि को लेकर भरोसा जतायेगा तो शेयर बाजार में तेजी आयेगी।
कुसंयोग से मोदी सरकार के पहले पूर्ण वर्ष में ही 1997 से अब तक का सबसे खराब एल नीनो प्रभाव झेलना पड़ा है। इसलिए सरकार की ओर से विकास फिर तेज करने के लिए मजबूत नीतिगत कदम उठाये जाने चाहिए। संदीप सभरवाल, सीआईओ, सन कैपिटल Sandip Sabarwal, CIO, Sun Capital)
(शेयर मंथन, 08 सितंबर 2015)