हालाँकि चाणक्य का एक्जिट पोल अगर सही रहता है तो यह भाजपा की इकतरफा बढ़त की ओर इशारा करता है। मुझे लगता है कि 8 नवंबर को चाहे जैसे भी नतीजे आयें, बाजार ऊपर ही रहना चाहिए। बाजार के मौजूदा स्तरों में बिहार में भाजपा की हार की संभावना का असर पहले ही आ चुका है।
मेरा नजरिया यह है कि बिहार के चुनावी नतीजे बाजार के लिए बहुत मायने नहीं रखते। शेयर बाजार का प्रदर्शन अर्थव्यवस्था की स्थिति, सरकारी घाटे में कमी और कंपनियों की आय में वृद्धि जैसी बातों पर निर्भर करता है। बिहार में चुनावी नतीजे चाहे जैसे भी हों, उनसे इन सब बातों में से कोई भी चीज जोखिम में नहीं पड़ती।
केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को सँभालने के जो प्रयास किये हैं, उनका फल मिलना शुरू हो गया है। सरकारी घाटे को लेकर भी स्थिति अच्छी है। कंपनियों के कारोबारी नतीजों में सुधार तीसरी तिमाही से दिखना शुरू हो जायेगा। इसलिए बाजार की मौजूदा कमजोरी खरीदारी करने के लिए अच्छा अवसर दे रही है और अभी निवेश करने पर अगले साल भर में 25% का लाभ मिल सकता है।
पिछले साल इसी समय बाजार में बहुत ज्यादा उम्मीदें बनी हुई थीं, जबकि अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही थी और तमाम तरह की समस्याएँ थीं। अब ये सब मुद्दे हमारे पीछे छूट चुके हैं और यह बाजार में निवेश करने का अच्छा समय है। संदीप सभरवाल, सीआईओ, सन कैपिटल Sandip Sabarwal, CIO, Sun Capital)
बिहार के चुनावी नतीजों से बाजार पर कोई खास असर नहीं : संदीप सभरवाल
कई एक्जिट पोल के नतीजे भाजपा के पक्ष में नहीं होने से बाजार पर कुल मिला कर कोई खास असर मुझे नहीं लगता।
(शेयर मंथन, 06 नवंबर 2015)