इस समय भारतीय शेयर बाजार ऊपर जाने के लिए संघर्ष कर रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीति का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ गया है।
यदि ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं हुई तो जून में तेजी से बिकवाली देखने को मिल सकती है। दरों में कटौती की उम्मीद पर ही बाजार अभी तक रुका है, अन्यथा पहले ही बिकवाली देखने को मिल जाती। वैश्विक स्तर पर भी काफी निश्चिंतता का माहैल बना हुआ है। अगर विश्व बाजार में कोई बड़ी बिकवाली आ गयी तो उसका असर हमारे बाजार पर भी पड़ेगा, खास तौर पर इसलिए कि विदेशी निवेशकों के निवेश में पहले ही धीमापन आ चुका है। मेरा मानना है कि इस समय अर्थव्यवस्था के व्यापक संकेत दरों में कटौती की जरूरत की तरफ इशारा करते है। मेरा मानना है कि दरों में कटौती होगी।
बाजार इस समय मुझे थका हुआ नजर आ रहा है। वैश्विक संकेतों से इसे सहारा मिल रहा है, अन्यथा बाजार कमजोर हो चुका होता। मुझे लगता है कि बाजार को नीचे जाना चाहिए। यह देखना होगा कि यह पिछली तलहटी से ऊपर ही टिक पाता है या नहीं। मेरा मानना है कि दरों में कटौती अगर होती भी है तो इसके बावजूद बाजार यहाँ से ज्यादा ऊपर नहीं जा सकेगा। वहीं 2 जून को दरों में कटौती न होने पर निफ्टी 7800-7900 के स्तर तक फिसल सकता है, जो यहाँ से लगभग 600 अंक नीचे है। एक लंबी अवधि के निवेशक के लिए यह कोई बड़ी गिरावट नहीं होगी, लेकिन छोटे कारोबारी के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है। संदीप सभरवाल, सीआईओ, सन कैपिटल Sandip Sabarwal, CIO, Sun Capital)
(शेयर मंथन, 22 मई 2015)