रेटिंग, रिसर्च और सलाहकार सेवा प्रदाता क्रिसिल (Crisil) के मुताबिक मार्च 2020 तक बैंकों की सकल एनपीए (NPA) 350 आधार अंक घट कर 8% रह जायेंगी।
क्रिसिल के अनुसार ऐसा ताजा एनपीए बढ़ने की दर में गिरावट और मौजूदा एनपीए खातों से वसूली में तेजी लाने से होगा। क्रिसिल ने अपनी एक रिपोर्ट में जिक्र किया है कि चालू वित्त वर्ष में बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता में निर्णायक बदलाव हो सकता है, जिससे एनपीए में गिरावट देखने को मिलेगी।
रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2018 में एनपीए 11.5% थी, जो इसका सर्वकालिक शिखर है, जबकि मार्च 2019 में यह घट कर 9.3% पर आ गयी थी। उल्लेखनीय ढंग से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की सकल एनपीए, जो कुल एनपीए की 80% हैं, मार्च 2020 तक 400 आधार अंक से ज्यादा घट कर 10.6% पर आ सकती है, जो मार्च 2018 में 14.6% के शिखर पर थी।
क्रिसिल के मुताबिक वास्तव में एनपीए में गिरावट पिछले वित्त वर्ष में शुरू हुई। वित्त वर्ष 2017-18 में 7.4% की तुलना में 2018-19 में ताजा एनपीए बढ़ने की दर घट कर 3.7% रह गयी। ऐसा मुख्य रूप से बैंकों द्वारा पहले से ही वित्त वर्ष 2015-16 से 17 लाख करोड़ रुपये के दबावग्रस्त ऋणों की एनपीए के रूप में पहचान करने से संभव हुआ। इसके पीछे आरबीआई (RBI) के कड़े मानदंडों और संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा के बाद एनपीए की पहचान करने में तेजी लाना मुख्य वजह है।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक कृष्णन सीतारमन के अनुसार पिछले वित्त वर्ष के दौरान राइट-ऑफ (बट्टेखाते में डालना) और मुख्य बड़ी दबावग्रस्त संपत्तियों में दिवालिया कानून के तहत वसूली ने एनपीए की कटौती में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इसके अलावा 6 साल के अंतर के बाद बैंकिंग प्रणाली के लिए 2018-19 में एनपीए में गिरावट की रफ्तार ताजा एनपीए बढ़ने की दर से आगे निकल गयी। आगे निजी बैंकों, जिनके पास संपत्ति गुणवत्ता के कम मामले रहे हैं, के पोर्टफोलियो में भी सुधार होना चाहिए। (शेयर मंथन, 25 जून 2019)
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