भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आगामी बजट में एक तरफ जहाँ अर्थव्यवस्था की बेहतरी वाले कदमों की आस लगा रखी है, वहीं नोटबंदी से जनता को हुई तकलीफ पर मरहम वाले उपायों की भी माँग की है।
31 जनवरी से बजट सत्र की शुरुआत होगी और 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किया जायेगा। बजट सत्र के पहले ही दिन आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) को सदन के पटल पर रखा जायेगा। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता (आर्थिक विषय) गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने शेयर मंथन से बातचीत में कहा कि अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकारी खर्चों में इजाफा होना चाहिए। असंगठित क्षेत्र इस समय पूँजी की समस्या से जूझ रहा है। भाजपा चाहती है कि उन्हें पूँजी उपलब्ध कराने की अलग-अलग योजनाएँ रखी जायें। अग्रवाल को उम्मीद है कि सरकार ग्रामीण बुनियादी ढाँचे पर भी अवश्य जोर देगी। उनका कहना है कि सरकारी संसाधनों में वृद्धि होने की उम्मीद की जा रही है, इसलिए अब सरकारी खर्च में अच्छी-खासी वृद्धि की जानी चाहिए।
इसके अलावा भाजपा चाहती है कि व्यापार को सरल बनाने पर भी जोर दिया जाये। अग्रवाल कहते हैं कि असंगठित क्षेत्र केवल इस वजह से असंगठित नहीं होता है कि कर बचाना है। व्यापार सुगमता (Ease of doing business) नहीं होने के कारण भी कई तरह की समस्याएँ हैं, जैसे श्रम संबंधी समस्याएँ या रजिस्ट्रेशन वगैरह। इन बातों पर भी ध्यान दे कर सरकार अर्थव्यवस्था को तेज करे।
कर-निर्धारण पर अग्रवाल कहते हैं कि करों की दरों में कटौती की जाये तो ज्यादा लोग इसके दायरे में आयेंगे। आयकर की श्रेणियों को कुछ बदला जा सकता है। उन्होंने बताया कि भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में वित्त मंत्री की उपस्थिति में कर श्रेणियों में बदलाव, असंगठित क्षेत्र को पूँजी देने, व्यापास सुगमता बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी ढाँचा बढ़ाने जैसे विषयों पर चर्चा हुई थी। (शेयर मंथन, 27 जनवरी 2017)