आशीषकुमार चौहान
एमडी और सीईओ, एनएसई
मैं अंतरिम बजट को 10 में से 10 नंबर देता हूँ। यह बजट नीतियों और कराधान (taxation) पर निरंतरता सुनिश्चित करते हुए विकास, कल्याणवाद और राजकोषीय संयम (Fiscal Prudence) पर केंद्रित है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अधिक खर्च के माध्यम से क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना और परिणामस्वरूप रोजगार सृजन को सुविधाजनक बनाने की कोशिश जारी रखी गयी है। साथ ही, यह बजट गरीबों, किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए पर्याप्त प्रावधान करता है, जो समग्र आर्थिक विकास के लिए अच्छा संकेत है। यह कदम एक अनिश्चित दुनिया में अच्छी स्थिति में रहने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
वित्त-वर्ष 2023-24 के लिए 5.8% के संशोधित राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) में दरअसल बजट अनुमान से 10 आधार अंक (बीपीएस) का सुधार हुआ है। राजकोषीय समेकन (फिस्कल कंसोलिडेशन) सबसे आगे है और इस बजट के केंद्र में बना हुआ है। वित्त-वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा घटा कर 5.1% तक लाने की बात कही गयी है। इससे उम्मीदों में सुधार हुआ है और वित्त-वर्ष 2025-26 तक इसे 4.5% पर लाने के लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्धता नजर आती है।
पूँजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) 16.9% बढ़ कर 11.11 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर रखा गया है, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4% है। यह पिछले 26 वर्षों में सबसे अधिक है, जिसमें सड़क, परिवहन और रेलवे पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसका तात्पर्य पिछले 5 साल की अवधि में 27% सीएजीआर से है। व्यय की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है, पूँजीगत व्यय अब कुल व्यय का 23.3% है, जो बीते 30 वर्षों में सबसे अधिक है।
बिजली, स्वास्थ्य, आवास, रसोई गैस और वित्तीय समावेशन पर ध्यान देने के साथ गरीबों और जरूरतमंदों के लिए आज एक सामाजिक सुरक्षा ढाँचा मौजूद है। कुल मिला कर, यह शेयर बाजार के लिए एक सकारात्मक बजट है, जिसमें विकास, विवेकशीलता और पारदर्शिता पर निरंतर ध्यान दिया गया है।
(शेयर मंथन, 1 फरवरी 2024)