सेंसेक्स करीब सात सौ अंक की चोट सह कर एक बार फिर 10,000 के नीचे फिसल गया है। निफ्टी भी एक बार फिर 3,000 के स्तर के नीचे चला गया। भारतीय बाजारों ने अमेरिकी और एशियाई बाजारों में आयी गिरावट की राह पर ही चलते हुए कमजोर शुरुआत की। इसके बाद पूरे दिन बाजार लगातार नीचे फिसलता रहा और आखिरकार सेंसेक्स 696 अंक या 6.61% का गोता लगा कर 9,840 पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी 209 अंक या 6.66% की कमजोरी के साथ 2,939 पर बंद हुआ। मंझोले शेयरों के सूचकांक सीएनएक्स मिडकैप में 3.61% की कमजोरी रही। बीएसई का स्मॉलकैप सूचकांक 2.51% की गिरावट के साथ बंद हुआ। बीएसई में सभी क्षेत्रों के सूचकांकों में गिरावट का रुख रहा। सबसे ज्यादा गिरावट रियल्टी क्षेत्र में रही। हेल्थकेयर और एफएमसीजी को छोड़ कर बाकी सभी क्षेत्रीय सूचकांकों में 4% से अधिक की गिरावट रही।जयप्रकाश एसोसिएट्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारती एयरटेल, रिलायंस इन्फ्रा के शेयरों में 7% से अधिक की गिरावट रही। हालांकि कमजोरी के इस माहौल में भी आईटीसी हल्की बढ़त दर्ज करने में कामयाब रहा।बीएसई रियल्टी सूचकांक में 10.25% की कमजोरी आयी। इसक्षेत्र में सबसे ज्यादा मार इंडियाबुल्स रियल एस्टेट पर पड़ी, जो 15% की गिरावट के साथ बंद हुआ। महिंद्रा लाइफ में 11.33%, एचडीआईएल में 11.18%, ऑर्बिट कॉर्पोरेशन में 10.93% और डीएलएफ में 10.15% की कमजोरी रही। पार्श्वनाथ, ओमैक्स, पेनिनसुला लैंड और यूनिटेक डेवलपर्स में भी 9% से अधिक गिरावट आयी।सोमवार को सबसे तेज उछाल दर्ज करने वाला धातु सूचकांक आज 8.42% की कमजोरी के साथ बंद हुआ। सेल में 11.77%, स्टरलाइट इंड्स्ट्रीज में 11.03%, टाटा स्टील में 10.98% और हिंडाल्को इंडस्ट्रीज में 10.18% की गिरावट रही। जय कॉर्प, वेलस्पन गुजरात, सेसा गोवा और इस्पात इंडस्ट्रीज ने भी 7% से अधिक कमजोरी दर्ज की। बिजली (पावर) क्षेत्र के सूचकांक में 7.70% की गिरावट रही। सुजलॉन एनर्जी 13.78% और जीवीके पॉवर 13.41% गिरे। बीएचईएल में 9.65% की कमजोरी आयी। आईटी सूचकांक ने 6.43% की गिरावट दर्ज की। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा चोट सत्यम कंप्यूटर और एचसीएल टेक्नोलॉजीज पर पड़ी, जिनमें 9.22% की गिरावट आयी। विप्रो को 8.03% और इन्फोसिस को 6.18% नुकसान सहना पड़ा।
डॉनल्ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति बनने वाले हैं। जनवरी में उनका अगला कार्यकाल शुरू होगा। अमेरिका में 100 साल से ज्यादा समय में पहली बार ऐसा हुआ है, जब कोई राष्ट्रपति एक चुनाव हारने के बाद वापसी करने में कामयाब हुआ है।
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