रिलायंस इक्विटी फंड ने अक्टूबर के महीने में अपने पोर्टफोलिओ में नकदी का हिस्सा बढ़ाया है। जहाँ सितंबर में इसके पोर्टफोलिओ में नकदी का हिस्सा 27.68% था, वहीं अक्टूबर में यह हिस्सा बढ़ कर 33.58% हो गया। दूसरी ओर इस दौरान फंड ने इक्विटी के क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी को 70.97% से घटा कर 64.86% कर दिया है। क्षेत्रों के लिहाज से देखें तो अक्टूबर महीने के दौरान फंड ने अपने पोर्टफोलिओ में बैंकिंग क्षेत्र की हिस्सेदारी को बढ़ा कर 13.36% कर लिया है।
मंगलवार की सुबह एशियाई बाजारों में आयी गिरावट की राह पर ही चलते हुए भारतीय बाजारों ने दिन के कारोबार की शुरुआत गिरावट के साथ की। दोपहर 12.15 बजे बीएसई का सेंसेक्स 484 अंक यानी 4.59% की गिरावट के साथ 10,052 पर चल रहा है। एनएसई का निफ्टी 132 अंक या 4.20% की कमजोरी के साथ 3,046 पर है। बीएसई में सभी क्षेत्रों के सूचकांकों में गिरावट का रुख है। सबसे ज्यादा गिरावट रियल्टी क्षेत्र में है, जो 5.76% नीचे चल रहा है। हेल्थकेयर और एफएमसीजी क्षेत्रों को छोड़ कर बाकी सभी क्षेत्र 2-5% कमजोर चल रहे हैं।
जयप्रकाश एसोशिएट्स, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, भारती एयरटेल, रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंडाल्को, बीएचईएल, टाटा स्टील, आईसीआईसीआई बैंक, लार्सेन एंड टूब्रो, सत्यम कंप्यूटर्स और डीएलएफ के शेयरों में 5% से अधिक की गिरावट है।मजबूत वैश्विक संकेतों की वजह से भारतीय बाजारों ने सप्ताह की शुरुआत मजबूती के साथ की। दिन भर के कारोबार के बाद बीएसई का सेंसेक्स 572 अंक यानी 5.74% की बढ़त के साथ 10,536 पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी भी 175 अंक या 3.89% की तेजी के साथ 3,148 पर बंद हुआ।
आज की तेजी में सबसे ज्यादा योगदान धातु, ऊर्जा और कैपिटल गुड्स क्षेत्रों का रहा। बीएसई में सभी क्षेत्रों के सूचकांक मजबूती के साथ बंद होने में सफल रहे।
भारत और अमेरिका या दूसरी संकटग्रस्त अर्थव्यवस्थाओं की तुलना करते समय अक्सर हम बड़े संतोष के साथ कहते हैं कि चलो हमारी विकास दर भले ही कुछ घट रही हो, लेकिन हमारी स्थिति अमेरिका और यूरोप से काफी अच्छी है। हमारी विकास दर कितनी भी घटे, यह नकारात्मक तो नहीं होने वाली। लेकिन विकास दर की रफ्तार में लगातार हमसे दो कदम आगे ही चलते रहने वाले चीन ने एक बार फिर बताया है कि तेज विकास का कोई विकल्प नहीं है और इसमें आत्मसंतुष्टि की कोई जगह नहीं है।
आज के कारोबार के बारे में मेरा मानना है कि बाजार मजबूती के साथ खुलेंगे, क्योंकि वैश्विक संकेत अच्छे दिख रहे हैं। लेकिन दोपहर बाद यदि यूरोपीय बाजारों में गिरावट का रुख देखने को मिला, तो हो सकता है कि हमारे यहाँ भी मुनाफावसूली शुरू हो जाये।
ब्याज दरें ऊपर चढ़ने का चक्र पूरा हो चुका है और अब इनके नीचे जाने का समय आ चुका है – यह बात सबसे पहले जिन लोगों ने कही थी उनमें आईसीआईसीआई बैंक के एमडी के वी कामत शामिल हैं।
गुरुवार को कई नकारात्मक खबरों के बीच एक बार फिर अर्थव्यवस्था में मंदी की चिंता अमेरिकी निवेशकों पर हावी होती दिखी, जिससे डॉव जोंस में 443 अंकों की बड़ी गिरावट आयी। आज सुबह एशियाई बाजारों में भी गिरावट दिख रही है।
कल भारतीय बाजार में आयी कमजोरी को मोटे तौर पर एक सुधार (करेक्शन) के रूप में समझा जा सकता है, क्योंकि जब कोई बाजार 6 कारोबारी सत्रों में लगभग 42% मजबूत हो जाये, तो बाजार में आयी ऐसी बढ़त कभी टिका नहीं करती। आज के बाजार के बारे में मेरा मानना है कि कमजोर वैश्विक संकेतों के मद्देनजर बाजार कमजोर खुलेंगे, हो सकता है कि बाद में कुछ वापसी देखने को मिल जाये।
कमजोर वैश्विक संकेतों की वजह से आज भारतीय शेयर बाजार नीचे खुले। गुरूवार को दिन भर उतार-चढ़ाव का क्रम बना रहा और सेंसेक्स ने एक बार फिर 10,000 का मनोवैज्ञानिक स्तर तोड़ दिया। बीएसई का सेंसेक्स 386 अंकों यानी 3.81% की गिरावट के साथ 9,734 पर बंद हुआ। जबकि एनएसई का निफ्टी भी 102 अंकों यानी 5.48% की तेजी के साथ 2,893 पर बंद हुआ। आज की गिरावट में सबसे ज्यादा योगदान धातु क्षेत्र, तेल व गैस, टीईसी, आईटी और बैंकिंग क्षेत्रों का रहा। धातु क्षेत्र में जहां आठ प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गयी, वहीं बाकी क्षेत्रों के सूचकांक भी तकरीबन 3-5% की कमजोरी के साथ बंद हुए। बीएसई में रियल्टी और हेल्थकेयर ही ऐसे क्षेत्र रहे, जो कल की तुलना में कुछ मजबूती के साथ बंद हुए। आज सीएनएक्स मिडकैप 2.36% गिर कर बंद हुआ। इसी तरह बीएसई का मिडकैप सूचकांक 2.24% और स्मॉलकैप सूचकांक 2.13% की कमजोरी के साथ बंद हुए।
बुधवार को यूरोपीय और अमेरिकी शेयर बाजारों में आयी गिरावट का असर गुरुवार को एशियाई बाजारों पर स्पष्ट तौर पर दिखा और सभी एशियाई बाजार औंधे मुँह गिर गये। एक ओर जहां दक्षिण कोरिया के कॉस्पी में साढ़े सात प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गयी, वहीं हांगकांग के सूचकांक हैंग सेंग में भी सात प्रतिशत से अधिक की कमजोरी देखने को मिली। जापान के निक्केई सूचकांक ने एक बार फिर 9,000 का स्तर तोड़ दिया और साढ़े छः प्रतिशत की गिरावट के साथ 8,899 पर बंद हुआ। ताइवान वेटेड, स्ट्रेट टाइम्स और जकार्ता कंपोजिट में भी चार से छः प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गयी। लेकिन गिरावट की इस आँधी के बीच शंघाई कंपोजिट स्वयं को बचाने में कुछ हद तक कामयाब रहा और इसमें लगभग ढ़ाई प्रतिशत की गिरावट देखी गयी। भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ खुले और दिन भर उतार-चढ़ाव का क्रम बना रहा। दिन भर के कारोबार के बाद सेंसेक्स 386 अंकों की गिरावट के साथ 9,734 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 102 अंकों की कमजोरी के साथ 2,893 पर बंद हुआ।
कारोबारी हफ्ते के अंतिम दिन भारतीय बाजार में जबरदस्त तेजी रही। बीएसई का सेंसेक्स 744 अंक यानी 8.22% की शानदार बढ़त के साथ 9,788 पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी भी 189 अंक या 7% की उछाल के साथ 2886 पर बंद हुआ। आज की तेजी में सबसे ज्यादा योगदान धातु, तेल-गैस, बैंकिंग, ऑटो और आईटी क्षेत्रों का रहा। बीएसई में इन सभी क्षेत्रों के सूचकांक तकरीबन 6-10% की शानदार उछाल के साथ बंद हुए।
आपने एक शेयर खरीदा था जिसके भाव काफी नीचे आ गये, तो अब उस शेयर को और खरीद कर अपनी औसत लागत घटानी चाहिए या नहीं?
अभी कुछ समय तो बिकवाली सौदे कटने का रुझान रहेगा। साथ ही मेरिल लिंच ने उभरते बाजारों (इमर्जिंग मार्केट) पर सकारात्मक रिपोर्ट दी है और इसमें भारत और चीन के चुनिंदा शेयरों के पक्ष में सलाह दी है, जिससे माहौल थोड़ा सुधरेगा।