चना वायदा (जून) की कीमतों के 3,620-3,660 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावाना है।
उपभोक्ता केन्द्रों की और से चना दाल की कमजोर माँग के कारण हाजिर बाजारों में चने की माँग काफी कम हो रही है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा 2019 तक बफर स्टॉक कम करके 3,00,000 टन तक करने की अटकलों के कारण थोक खरीदार बाजार से दूरी बनाये हुए हैं। इसके विपरीत आवक कम हुई है, क्योंकि किसान निजी कारोबारियों को चना बेचने से परहेज कर रहे हैं और अपने उत्पादनों को नाफेड को 4,400 रुपये प्रति 100 किलो ग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर से बेच रहे हैं।
वहीं कॉटन वायदा (जून) की कीमतों में तेजी का रुझान रहने की संभावना है। यदि कॉटन की कीमतें 21,500 के बाधा स्तर का पार करती है तो 21,600-21,800 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। अमेरिकी कृषि विभाग का अनुमान है कि 2018-19 में भारतीय किसान कपास के उत्पादन क्षेत्र में 5,00,000 हेक्टेयर की कमी कर सकते हैं, क्योंकि आगामी सीजन में वैकल्पिक फसलों से अधिक लाभ होने की उम्मीद है। दूसरी ओर 2018-19 में भारत में कपास की खपत लगभग 4% की बढ़ोतरी के साथ 25.2 मिलियन बेल होने का अनुमान है, जो एक रिकॉर्ड होगा। विश्व स्तर पर कपास की उत्पादों और कपड़ों की अधिक माँग के कारण भारत में खपत में वृद्धि हो रही है।
ग्वारसीड वायदा (जून) की कीमतों के 3,770-3,870 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। हाजिर बाजारों में कारोबार काफी सुस्त हो रहा है क्योंकि मौजूदा सीजन में सामान्य मॉनसून के अनुमान से अधिकांश खरीदार बाजार से दूरी बनाये हुए हैं। मौजूदा सीजन में मॉनसून के सामान्य आगमन की तुलना में 3 दिन पहले आने की संभावना है। (शेयर मंथन, 28 मई 2018)
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