सोयाबीन वायदा (जून) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 3,700 रुपये के स्तर पर लुढ़कने की संभावना हैं।
दरअसल सभी फंडामेंटल कमजोर रुझानों की ओर संकेत कर रहे हैं। ऐसा अनुमान है कि मौजूदा सीजन में किसानों द्वारा सोयाबीन की बुआई अधिक क्षेत्र में की जा सकती है। यूएसडीए का अनुमान है कि 2018-19 में भारत में सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्रा 10% की बढ़ोतरी के साथ 11.5 मिलियन हेक्टेयर हो सकता है। यदि ऐसा होता है तो भारत में सोयाबीन का कुल उत्पादन 10.8 मिलियन टन हो सकता है। निर्यात के आँकड़ें भी उत्साहजनक नही हैं और ऐसा अनुमान है कि 2017-18 में भारतीय सोयामील का निर्यात 1,00,000 टन कम होकर 1.4 मिलियन टन रह सकता है।
रिफाइंड सोया तेल वायदा (जून) की कीमतों के 770-775 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है, जबकि सीपीओ वायदा (जून) की कीमतों के 663-667 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। आज अमेरिकी बाजार के बंद होने के कारण कीमतों का कोई स्पष्ट रुझान मिलने की संभावना कम है। इस बीच एक नयी खबर यह है कि बैंकों ने आयातकों को क्रेडिट की सुविधा को कम कर दिया है, जिसके कारण बाजार में तेल के भंडार का स्तर कम हो गया है।
सरसों वायदा (जून) के कारोबार में सावधानी देखी जा सकती है और कीमतों को 4,040-4,050 के स्तर पर बाधा रह सकती है। अधिक कीमतों पर देश भर के हाजिर बाजारों में सरसों की माँग कम हुई है। सरसों की कीमतों में फिर से बढ़ोतरी होने पर सरसों तेल की माँग कम हो सकती है और सस्ते पॉम तेल की माँग में बढ़ोतरी हो सकती है। (शेयर मंथन, 28 मई 2018)
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