देश में दालों के पर्याप्त स्टॉक के कारण चना की कीमतों में फिर से नरमी का रुझान बरकरार रहने की संभावना के बीच 3,260 रुपये तक गिरावट हो सकती है।
मिलों की ओर से कम खरीदारी के कारण देश भर के बाजारों में चना की कीमतों में नरमी का रुझान है। इसके अतिरिक्त थोक और खुदरा विक्रेताओं की ओर से माँग के अभाव के कारण भी कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। सुस्त कारोबार के कारण आयातित चना दाल की कीमतें 50 रुपये की गिरावट के साथ 3,900 रुपये प्रति 100 किलो ग्राम हो गयी हैं। इसके साथ ही काबुली चना की घरेलू माँग और निर्यात माँग भी उत्साहजनक नही है, क्योंकि विदेशी बाजारों में पर्याप्त स्टॉक है।
एमसीएक्स में कॉटन वायदा की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 22,700-23,000 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। कम होती आपूर्ति के बीच दक्षिण भारत और मध्य भारत के बाजारों में कपास की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। मौजूदा सीजन में 7 जून तक कपास की बुआई 12.48 लाख लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 14.06 लाख हेक्टेयर की तुलना में 11.23% कम है।
ग्वारसीड वायदा (जुलाई) की कीमतों के 3,550-3,670 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (जुलाई) की कीमतों के 7,400-7,635 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। इन दोनों कमोडिटी की कीमतों का अनुपात पिछले महीने के 2.23 के उच्च स्तर से लुढ़क कर 2.08 हो गया है। इससे पता चलता है कि मिलों की ओर से ग्वार की माँग काफी कम हुई है और इसलिए कीमतों में नरमी का सेंटीमेंट बरकरार रह सकता है। (शेयर मंथन, 12 जून 2018)
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