मेंथा ऑयल वायदा (सितंबर) की कीमतों में गिरावट का इस्तेमाल खरीदारी के अवसर के रूप में किया जा सकता है।
इसकी कीमतें 1,885 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। उतर प्रदेश के हाजिर बाजारों में किसान और स्टॉकिस्ट कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद से अपने स्टॉक को रोक कर रखे हुए है और धीरे-धीरे बाजार में छोड़ रहे हैं। दूसरी ओर वर्तमान समय में निर्यात माँग औसत है, लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपये के अब तक के निचले स्तर पर पहुँचने के कारण मेंथा ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद हैं।
एमसीएक्स में कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में नरमी बरकरार रह सकती है और इसकी कीमतें 22,500 रुपये तक लुढ़क सकती हैं। इसका कारण यह है कि उतर भारत में नयी कपास की आवक अगले दो हफ्ते में शुरू हो जायेगी, जिससे कीमतों पर दबाव बना रह सकता है। कुछ छोटे क्षेत्रों में धीरे-धीरे कपास की फसल कटाई शुरु हो गयी है, लेकिन बेहतर क्वालिटी की आपूर्ति के इस महीने के अंत तक शुरू होने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने और अमेरिका द्वारा इस महीने से चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाये जाने की योजना को लेकर बढ़ती चिंता के कारण आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतों में नरमी के साथ सीमित रुझान है।
कई तरह के फंडामेंटल के कारण चना वायदा (सितंबर) की कीमतों में 3,820-3,920 रुपये के दायरे में काफी अधिक अस्थिरता रहने की संभावना है। मटर आयात पर प्रतिबंध समाप्त करने के एक दिन बाद विदेशी व्यापार महानिदेशालय ने कहा है कि व्यापार पर अवरोध जारी रहेगा। इस खबर से कीमतों की गिरावट पर रोक लगेगी। लेकिन दूसरी ओर नाफेड ने महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश में दालों की बिक्री करना शुरू कर दिया है, जिससे कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। (शेयर मंथन, 04 सितंबर 2018)
Add comment