कॉटन वायदा (नवंबर) की कीमतों को 22,700 रुपये के स्तर पर बाधा रहने की संभावना है।
अधिक कीमतों पर मिलों की ओर से कम खरीदारी और नयी फसल की बढ़ती आपूर्ति के कारण भारत के बाजारों में कपास की कीमतों में नरमी का रुझान है। मौजूदा कीमतों पर निर्यात बाजार में भारतीय कपास की कमजोर माँग और विश्व बाजार में वित्तीय अनिश्चितता के कारण मिलें और निर्यातक कीमतों में गिरावट का इंतजार कर रहे हैं। रबी फसल की बुआई के लिए पैसे की जरूरत के कारण किसानों द्वारा कपास की आपूर्ति में बढ़ोतरी किये जाने की संभावना है।
ग्वारसीड वायदा (नवंबर) की कीमतों में गिरावट दर्ज किये जाने की संभावना है और कीमतें 4,500-4,450 रुपये तक लुढ़क सकती है। अधिक कीमतों पर खरीदारों द्वारा खरीदारी कम किये जाने के कारण बाजारों में ग्वारसीड और ग्वारगम की कीमतों में गिरावट हुई है। इस महीने कीमतों में तेज उछाल के बाद स्टॉकिस्टों और पेराई मिलों द्वारा खरीदारी कम किये जाने के कारण कीमतों पर दबाव पड़ा है।
इस बीच वैश्विक शेयर बाजार में नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट होने से ग्वारगम की निर्यात माँग में कमी के कारण ग्वारगम की मौजूदा कीमतें आकर्षक नही रह गयी हैं।
चना वायदा (नवंबर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 3,975-4,025 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार कर सकती है। कम कीमतों पर मिलों की ओर से खरीदारी बढ़ाये जाने के कारण हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। प्रोसेस्ड/अंतिम उत्पादों की माँग में बढ़ोतरी होने की संभावना है, क्योंकि त्योहारी सीजन के कारण चना की खपत में बढ़ोतरी होती है। (शेयर मंथन, 02 नवंबर 2018)
ग्वारसीड वायदा (नवंबर) की कीमतों में गिरावट दर्ज किये जाने की संभावना है और कीमतें 4,500-4,450 रुपये तक लुढ़क सकती है। अधिक कीमतों पर खरीदारों द्वारा खरीदारी कम किये जाने के कारण बाजारों में ग्वारसीड और ग्वारगम की कीमतों में गिरावट हुई है। इस महीने कीमतों में तेज उछाल के बाद स्टॉकिस्टों और पेराई मिलों द्वारा खरीदारी कम किये जाने के कारण कीमतों पर दबाव पड़ा है।
इस बीच वैश्विक शेयर बाजार में नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट होने से ग्वारगम की निर्यात माँग में कमी के कारण ग्वारगम की मौजूदा कीमतें आकर्षक नही रह गयी हैं।
चना वायदा (नवंबर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 3,975-4,025 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार कर सकती है। कम कीमतों पर मिलों की ओर से खरीदारी बढ़ाये जाने के कारण हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। प्रोसेस्ड/अंतिम उत्पादों की माँग में बढ़ोतरी होने की संभावना है, क्योंकि त्योहारी सीजन के कारण चना की खपत में बढ़ोतरी होती है। (शेयर मंथन, 02 नवंबर 2018)
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