कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 21,550-21,850 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
कमजोर वैश्विक रुझानों के बीच निर्यातकों और मिलों की ओर से कम खरीदारी के कारण दक्षिण और मध्य भारत के प्रमुख हाजिर बाजारों में कपास की कीमतों में गिरावट हो रही है। कीमतों में गिरावट को देखते हुए खरीदार इंतजार कर रहे है। अधिक कीमतों पर धागा मिलों द्वारा खरीदारी कम किये जाने के कारण पिछले हफ्ते से ही बाजार में नरमी का सेंटीमेंट है। इसके अतिरिक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था, खासतौर से विकासशील देशों, की धुँधली तस्वीर के कारण कपास के धागों और कपड़ों का निर्यात भी कम होने की आशंका है।
ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतों में नरमी बरकरार रहने की संभावना है और कीमतों पर 4,200-4,150 रुपये तक गिरावट हो सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 8,600-8,500 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। पेराई के लिये ग्वारसीड की माँग काफी कम हो गयी है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट और रुपये के मजबूत होने के बीच ग्वारगम का निर्यात कम होने से पेराई के लिए ग्वारसीड की माँग काफी कम हो गयी है, जिसके कारण हाजिर बाजारों में ग्वारगम और ग्वारसीड की कीमतों में तेज गिरावट हुई है।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 4,580-4,550 के स्तर पर सहारा के साथ तेजी बरकरार रहने की संभावना है क्योंकि मौजूदा रबी सीजन में पिछले सीजन की तुलना में अभी तक कम बुआई के कारण सेंटीमेंट बेहतर है और बाजार को उम्मीद है कि पीले मटर के आयात पर प्रतिबंध को मार्च 2019 तक बढ़ा दिया जायेगा। (शेयर मंथन, 27 नवंबर 2018)
ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतों में नरमी बरकरार रहने की संभावना है और कीमतों पर 4,200-4,150 रुपये तक गिरावट हो सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 8,600-8,500 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। पेराई के लिये ग्वारसीड की माँग काफी कम हो गयी है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट और रुपये के मजबूत होने के बीच ग्वारगम का निर्यात कम होने से पेराई के लिए ग्वारसीड की माँग काफी कम हो गयी है, जिसके कारण हाजिर बाजारों में ग्वारगम और ग्वारसीड की कीमतों में तेज गिरावट हुई है।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 4,580-4,550 के स्तर पर सहारा के साथ तेजी बरकरार रहने की संभावना है क्योंकि मौजूदा रबी सीजन में पिछले सीजन की तुलना में अभी तक कम बुआई के कारण सेंटीमेंट बेहतर है और बाजार को उम्मीद है कि पीले मटर के आयात पर प्रतिबंध को मार्च 2019 तक बढ़ा दिया जायेगा। (शेयर मंथन, 27 नवंबर 2018)
Add comment