विश्व बाजार में तेजी के रुख पर कॉटन (फरवरी) की कीमतों में 21,040 रुपये तक रिकवरी दर्ज की जा सकती है।
आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतो में 13 से 30 अंकों की बढ़त दर्ज की गयी है। कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने से भी कॉटन की कीमतों को मदद मिली।
ग्वारसीड वायदा (फरवरी) की कीमतों में 4,240 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ स्थिरता रह सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (फरवरी) की कीमतों के 8,570 रुपये से ऊपर ही रहने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग द्वारा एल्नीनो और ला-नीनो के अनुमान से संकेत मिलता है कि इस वर्ष इन दोनों का कोई असर नहीं होने की संभावना है। एल्नीनो के दौरान मॉनसून के कम रहने की संभावना है और यदि अनुमान सही होता है तो 2019-20 (अक्टूबर-सितम्बर) में ग्वार का उत्पादन बाधित हो सकता है और कीमतों को मदद मिल सकती है।
चना वायदा (मार्च) की कीमतों को 4,180 रुपये पर सहारा रहने की संभावना है। मौजूदा रबी सीजन में कम बुआई के कारण कीमतों की गिरावट पर रोक लगी रह सकती है। लेकिन नाफेड द्वारा चना की बिकवाली, खासतौर से राजस्थान और मध्य प्रदेश में, बढ़ोतरी के दबाव और सरकारी भंडार में बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार में चना में नरमी का रुझान देखा जा रहा है। इसके अतिरिक्त बाजारों में चना दाल और बेसन की माँग काफी कम होने के कारण मिलें भी चना की सक्रिय रूप से खरीदारी नहीं कर रही हैं। सरकारी एजेंसियों द्वारा कम कीमतों पर बिकवाली जारी रहने की संभावना और नयी फसल की आवक में बढ़ोतरी रहने की संभावना से सेंटीमेंट अभी भी कमजोर है। (शेयर मंथन, 30 जनवरी 2019)
ग्वारसीड वायदा (फरवरी) की कीमतों में 4,240 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ स्थिरता रह सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (फरवरी) की कीमतों के 8,570 रुपये से ऊपर ही रहने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग द्वारा एल्नीनो और ला-नीनो के अनुमान से संकेत मिलता है कि इस वर्ष इन दोनों का कोई असर नहीं होने की संभावना है। एल्नीनो के दौरान मॉनसून के कम रहने की संभावना है और यदि अनुमान सही होता है तो 2019-20 (अक्टूबर-सितम्बर) में ग्वार का उत्पादन बाधित हो सकता है और कीमतों को मदद मिल सकती है।
चना वायदा (मार्च) की कीमतों को 4,180 रुपये पर सहारा रहने की संभावना है। मौजूदा रबी सीजन में कम बुआई के कारण कीमतों की गिरावट पर रोक लगी रह सकती है। लेकिन नाफेड द्वारा चना की बिकवाली, खासतौर से राजस्थान और मध्य प्रदेश में, बढ़ोतरी के दबाव और सरकारी भंडार में बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार में चना में नरमी का रुझान देखा जा रहा है। इसके अतिरिक्त बाजारों में चना दाल और बेसन की माँग काफी कम होने के कारण मिलें भी चना की सक्रिय रूप से खरीदारी नहीं कर रही हैं। सरकारी एजेंसियों द्वारा कम कीमतों पर बिकवाली जारी रहने की संभावना और नयी फसल की आवक में बढ़ोतरी रहने की संभावना से सेंटीमेंट अभी भी कमजोर है। (शेयर मंथन, 30 जनवरी 2019)
Add comment