इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च (India Ratings and Research) के अनुसार 24 जुलाई 2019 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा घोषित चीनी के भंडारण में 10 लाख टन की वृद्धि चीनी क्षेत्र के लिए आकस्मिक रूप से सकारात्मक है, मगर यह देश में मौजूदा अतिरिक्त चीनी की स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है।
भंडारण सब्सिडी 11.75 अरब रुपये से बढ़ा कर 16.74 अरब रुपये करने से किसानों का गन्ना बकाया कम करने में मदद मिलेगी, जो 17 जुलाई 2019 को चालू सत्र के लिए 15.2 अरब रुपये था।
इसके अलावा 275 रुपये प्रति क्विंटल के चालू सत्र के स्तर पर गन्ने का उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) बनाये रखने के सीसीईए के निर्णय से कच्चे माल की लागत में वृद्धि रोक कर चीनी मिलों को राहत मिलेगी, जो चीनी उत्पादन लागत का 70-75% होता है। हालाँकि चीनी की कीमतों के साथ किसी संबंध के बिना गन्ना एफआरपी में वृद्धि के कारण उत्पादन की लागत मौजूदा चीनी कीमतों से अधिक बनी हुई है। कुल मिलाकर इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक सब्सिडी में 5 अरब रुपये की वृद्धि के कारण इन्वेंट्री की लागत में कमी के चलते गन्ना कंपनियों की सकल मुनाफा (Profit Before Tax) मार्जिन में 50 आधार अंकों की वृद्धि होने की उम्मीद है।
घरेलू बाजार में होगी अत्यधिक आपूर्ति
सीसीईए ने चीनी के भंडारण को 30 लाख टन से 40 लाख टन करने का फैसला सत्र 2018-19 में अनुमानित 3.3 करोड़ टन उत्पादन के कारण लिया है, जिससे भारत ब्राजील को पीछे छोड़ कर 16 सालों में पहली बार सबसे बड़ा चीनी उत्पादक बन जायेगा। हालाँकि कम रकबा और वर्षा की कमी के चलते अगले सत्र में उत्पादन घट कर 2.8-2.85 करोड़ टन उत्पादन रहने की संबावना है, मगर वो भी 2.65 करोड़ टन चीनी की माँग से अधिक होगा। इसके अलावा 1.45 करोड़ टन का उच्च कैरीओवर स्टॉक अतिरिक्त उत्पादन में जुड़ेगा। (शेयर मंथन, 31 जुलाई 2019)
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