हल्दी वायदा (सितंबर) की कीमतों में 6,400 रुपये तक गिरावट जारी रह सकती है।
अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत को 6 महीने की छूट के समाप्त होने के साथ सबसे बड़े खरीदार ईरान की ओर से मई के बाद निर्यात माँग बिल्कुल कम हो गयी है। व्यापार आँकड़ों के अनुसार 2018-19 में 1,20,000 टन से अधिक की हल्दी निर्यात के बाद ऐसा हुआ है। दूसरी बात यह है कि मॉनसून में अच्छी प्रगति के बाद बुआई क्षेत्रों में बढ़ोतरी की संभावना से हाजिर कीमतों में गिरावट हो रही है।
जीरा वायदा (सितंबर) की कीमतों को 17,650-17,725 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ सकता है और जवाबी खरीद पर रोक लग सकती है। गुजरात के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में अधिक बारिश के कारण मसाले में अधिक नमी की मात्रा के कारण सेंटीमेंट कमजोर हो गया हैं। भले ही गुजरात की उजाड़ भूमि में देर से बारिश हुई है, लेकिन हाल के हफ्तों में राज्य में अच्छी बारिश हुई है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल सर्दियों की फसल अच्छी होगी क्योंकि बारिश वैसी ही है जैसी किसान चाहते थे। मिट्टी की नमी में सुधार होगा और मॉनसून के पुनः अगमन के बाद बांध में फिर से पानी होगा।
धनिया वायदा (सितंबर) की कीमतों में नरमी का रुझान बना रह सकता है और कीमतों में 6,000-5,900 रुपये तक गिरावट हो सकती है। रूसी, यूक्रेनी और बुल्गेरियाई फसल की कटाई जोर-शोर से होने के कारण सेंटीमेंट पूरी तरह से कमजोर है। इसके अलावा अनुकूल मौसम के कारण रूस के क्रास्नोडार और स्टावरोपोल के दक्षिणी क्षेत्रों में उत्पादन अधिक होने की उम्मीद है।
इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि इलायची वायदा (अगस्त) की कीमतें 4,300 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती हैं। कम भंडार, कम बारिश, कम उत्पादन और खाना पकाने में मसाले के बढ़ते उपयोग के कारण इलायची की कीमतों को मदद मिल सकती हैं। (शेयर मंथन, 06 अगस्त 2019)
Add comment