सोयाबीन वायदा (सितम्बर) की कीमतों के 3,670-3,740 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार की संभावना है।
यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में छिटपुट वायरस फैलने और महाराष्ट्र और राजस्थान में खड़ी फसलों पर कीटों के हमले के कारण भारत के सोयाबीन उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है। इसके अलावा, सोयाबीन की खेती के कुछ क्षेत्रों में औसत से भारी वर्षा की आवश्यकता है।
सरसों वायदा की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर लगभग 5,192 के नजदीक, जो वर्ष 2015 में दर्ज की थी, कारोबार कर रही है। कीमतों में अभी भी तेजी का रुझान है और कीमतों में प्रत्येक गिरावट को खरीद के अवसर के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि माँग-आपूर्ति के बीच एक बहुत अधिक असमानता है। कीमतों को 4,950 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है। भारत के सरसों तेल उत्पादक संघ के नवीनतम आँकड़ों से पता चलता है कि देश में मिलों द्वारा सरसों की पेराई जुलाई में 52.4% बढ़कर 800,000 टन हो गयी। लेकिन जुलाई में हुई पेराई काफी हद तक जून के बराबर ही थी। जबकि सरसों का तेल मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। भारत में कोविड-19 के प्रकोप के बाद से इसकी खपत कई गुना बढ़ गयी है। पेराई मार्जिन भी 14 प्रति क्विंटल है।
सोया तेल (सितम्बर) और सीपीओ (अगस्त) में सावधनी बरतने की सलाह दी जाती है क्योंकि दोनों काउंटर ओवरबॉट जोन में हैं और कीमतों में क्रमशः 845 रुपये और 715 रुपये तक गिरावट हो सकती है। अगस्त महीने में अभी तक मलेशियाई पॉम ऑयल के निर्यात में कमी और अन्य खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट के कारण बीएमडी में पॉम ऑयल की कीमतों में लगातार तीसरे दिन गिरावट हुई है। कार्गो सर्वेयर के आँकड़ों के अनुसार 1-10 अगस्त के बीच मलेशियाई पॉम ऑयल का निर्यात एक महीने पहले की समान अवधि की तुलना में कम होकर 4.8% रह गया है। डेलियन एक्सचेंज में सोया तेल की कीमतों में 0.03% और पॉम ऑयल की कीमतों में 0.89% की गिरावट हुई है। (शेयर मंथन, 12 अगस्त 2020)
Add comment