कॉटन वायदा (अगस्त) की कीमतों को 16,250 रुपये के पास सहारा मिलने की उम्मीद है, जबकि कीमतों में 16,430 रुपये तक बढ़ोतरी हो सकती है।
मौजूदा सीजन घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्री स्तर पर भी उत्पादन क्षेत्रों में कमी के कारण कीमतों में तेजी का रुझान है। ऐसी खबरें है कि महाराष्ट्र में कपास उत्पादक गांवों में गुलाबी कीटों के प्रकोप को लेकर चिंतित हैं। पंजाब में भी कपास की फसल पर सफेद कीटों के हमले का डर पाँच साल के अंतराल के बाद वापस आ गया है। मानसा और फाजिल्का जिलों के कुछ हिस्सों में चूसने वाले कीट की उपस्थिति की सूचना मिली है, और यह अन्य क्षेत्रों में भी पहुँच सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, अमेरिकी फसल की बेहतर स्थिति के कारण आईसीई में कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों में लगभग 1% की गिरावट हुई है जबकि चीन की ओर से अधिक माँग की उम्मीद से कीमतों को मदद मिली। व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलो ने कहा कि चीन ने अमेरिका के सामानों और विशेष रूप से कमोडिटीज की खरीद को जारी रखा है।
चना वायदा (सितम्बर) की कीमतों में तेजी देखी जा रही है और कीमतें 4,220 रुपये के पास सहारा के साथ 4,280-4,300 रुपये तक बढ़ सकती है। हाजिर बाजारों में मौजूदा मूल्य स्तर मिलों के लिए काफी आकर्षक है और यहाँ तक कि दीवाली तक उत्सव की अवधि शुरू होने के कारण आने वाले दिनों में खपत बढ़ने की संभावना है।
ग्वार समूह की कीमतों में तेजी का रुझान है क्योंकि पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण राजस्थान में ग्वार की खेती कम हो गयी है। ताजा आँकड़ों के अनुसार, गुजरात के साथ-साथ पूर्वी राजस्थान में 49% कम बारिश हुई है, जबकि पश्चिम राजस्थान में 32% कम बारिश हुई है। दूसरी बात यह है कि ग्वारसीड का कोई खास आवक नहीं हो रही है जबकि अमेरिका और यूरोप से फूड ग्रेड ग्वार गम की माँग है। दोनों काउंटरों के सितंबर कॉन्टैंक्ट को क्रमशः 4,010 रुपये और 6,550 रुपये पर सहारा मिलने की संभावना है। (शेयर मंथन, 12 अगस्त 2020)
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