कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के 17,400-18,200 रुपये के दायरे में मजबूत होने की संभावना है।
कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा हाजिर बाजारों में अपनी दरों को बढ़ाने पर रोक लगाने के कारण कीमतों की बढ़त पर रोक लग सकती है। दूसरी बात, हरियाणा की कुछ मंडियों में नयी फसल की आवक और अधिक कीमतों पर मिलों की ओर से कमजोर माँग के कारण उत्तर भारतीय बाजार में कपास की कीमतें कम हैं। व्यापारियों ने बताया कि अगले महीने से नयी फसल की आवक शुरू हो जायेगी, जिसका मतलब है कि आने वाले हफ्तों में कीमतों में गिरावट का सामना करना पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, फसल के आकार और तूफान से होने वाले नुकसान को लेकर अनिश्चितता है। दूसरे, निर्यात और बिक्री मिला-जुला रहा है। फिर भी चीन इसमें एक लगातार भागीदार लगता है। आईसीई में कॉटन वायदा (दिसम्बर) की कीमतों को 63.50 सेंट पर सहारा और 66.50 सेंट पर बाधा रह सकता है।
ग्वारसीड वायदा (सितम्बर) की कीमतों 4,000-4,300 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (सितम्बर) की कीमतों 6,300-6,800 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। कम उत्पादन के संकेतों से ग्वार कॉम्प्लेक्स की कीमतों को मदद मिल रही है और अनुमानों को लेकर स्पष्ट तस्वीर होने के बाद कीमतों को स्पष्ट दिशा मिलेगी।
चना वायदा (सितम्बर) की कीमतें अपने तेजी को जारी रखते हुये 5,000-5,100 रुपये के स्तर की ओर बढ़ सकती है। इंदौर की मंडियों में अधिकांश दालों की माँग में तेजी देखी गयी है। लॉकडाउन मानदंडों में ढील के साथ मांग में धीरे-धीरे सुधर होने से विशेष रूप से लंबे त्यौहारी सीजन की शुरुआत को देखते हुये दालों की माँग को बढ़ावा मिलेगा। जीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। लोग अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं जबकि होटल अपने व्यवसाय को फिर से शुरू कर रहे हैं, जिससे आने वाले दिनों में भी माँग बढ़ सकती हैं। (शेयर मंथन, 31 अगस्त 2020)
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