कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के 17,520-17,680 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार करने की संभावना है।
उत्तर भारत में कपास की कीमतें स्थिर थीं। खराब मौसम के कारण हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में दैनिक आवक प्रभावित हुई। हरियाणा ने नयी कपास की लगभग 500 बेल की दैनिक आवक दर्ज की। कारोबारियों के अनुसार, मौसम में सुधर के साथ ही फसलों की अधिक आवक के बीच मिलों की माँग सीमित है। गुजरात में कपास का उत्पादन क्षेत्रों 6% कम होने की खबरों के बावजूद भी कपास की कीमतों में स्थिरता है।
चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 4,900-4,850 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। हाजिर बाजारों में कमजोर माँग के कारण कुछ बाजारों में चना के भाव 50-100 रुपये प्रति 100 किलोग्राम तक कमजोर रहे। इसके अलावा, खपत केंद्रों में चना दाल और बेसन की माँग कमजोर रही है। नेफेड अधिक कीमतों पर अपने स्टॉक को बेचने में सफल रहा है और कम दरों की बोलियों को खारिज कर दिया है। मुंबई में, तंजानिया मूल के चना की कीमत 50 रुपये कम होकर 5,000 रुपये प्रति 100 किलोग्राम थी।
ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 3,850-3,975 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है जबकि ग्वारगम वायदा (अक्टूबर) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 5,900-6,199 के दायरे में सीमित कारोबार कर सकती है। कारोबारियों के अनुसार, कच्चे तेल क्षेत्रों से ग्वारगम की माँग लगभग अनुपस्थित है। केवल अमेरिकी बाजार से खाद्य क्षेत्रों की माँग से थोड़ी मदद मिल रही है जो कीमतों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त नहीं है। हाजिर बाजारों में चुरी और कोरमा के भाव भी नरमी के संकेत दे रहे हैं क्योंकि पशुचारा निर्माताओं की ओर से माँग कम हो गयी है। कारोबारियों के अनुसार ग्वारगम की बुवाई का रकबा पिछले साल से कम होने का अनुमान है। लेकिन हाल ही में हुई बारिश बेहतर फसल की संभावनाओं का बढ़ा सकती है। बुवाई की गतिविधियां लगभग समाप्त हो गयी हैं लेकिन बारिश उत्पादकता में सुधर कर सकती है। (शेयर मंथन, 08 सितंबर 2020)
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