कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के 17,600-17,750 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार करने की संभावना है।
बढ़ती आवक और मिलों की ओर से कमजोर माँग के कारण उत्तर भारत में कपास की कीमतों में 10-20 रुपये प्रति मौंड की गिरावट हुई है। मौसम की स्थिति सुधारने के साथ ही हरियाणा सहित उतार भारत में नयी कपास की दैनिक आवक बढ़ रही है। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया अक्टूबर के बाद खरीद शुरू करने के कारण भी कीमतें दबाव में होंगी। स्थिर आवक और और कपास मिलों की ओर से कम माँग के कारण गुरुवार को महाराष्ट्र में कपास की कीमतें आम तौर पर स्थिर रही। राज्य में पिछले सत्रा की तुलना में कपास की 1,500 बेलों की आवक दर्ज की गयी। गुजरात में मिलों की ओर से कमजोर माँग और राज्य की मंडियों में आवक बढ़ने से कपास की कीमतें 100-200 रुपये प्रति कैंडी फसल गयी।
चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 5,150-5,200 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती है। प्रमुख हाजिर बाजारों में क्वालिटी के हिसाब से चना की कीमतों में मिला-जुला रुझान रहा है। इसके अलावा, खपत केंद्रों में चना दाल और बेसन की माँग बढ़ रही है। नेफेड अधिक कीमतों पर अपने स्टॉक को बेचने में सफल रहा है और कम दरों की बोलियों को खारिज कर दिया है।
ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 4,050-4,100 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती है जबकि ग्वारगम वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 6,250-6,300 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार कर सकती है। हाजिर बाजारों में, ग्वारगम कॉम्प्लेक्स की कीमतों में उछाल दर्ज की गयी है क्योंकि कम कीमत पर कम बिक्री हुई। ग्वारगम की कीमतें 130 रुपये प्रति क्विंटल जबकि ग्वारसीड 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के साथ बिक्री। जोधपुर और जयपुर में ग्वारगम 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी और श्रीगंगानगर में 100 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह जोधपुर में ग्वारसीड की कीमतें 50 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गयी है। स्टॉकिस्ट कम कीमतों पर ग्वारसीड बेचने के इच्छुक नहीं थे। वे उम्मीद करते हैं कि कीमतें कम होने के कारण जल्द ही बढ़ेगी इसलिए वे कम कीमत पर बेचने को तैयार नहीं थे। (शेयर मंथन, 11 सितंबर 2020)
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