कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 17,800-18,050 रुपये के दायरे में स्थिर कारोबार करने की संभावना है।
उतर भारत में मिलों की ओर से बढ़ती माँग के कारण कपास की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में मध्य प्रदेश की विभिन्न मंडियों में आये कपास में नमी की मात्रा काफी अधिक 30-35% है। बारिश और खराब मौसम की स्थिति के कारण ग्रीष्मकालीन कपास की फसलों को नुकसान की रिपोर्ट के बावजूद, कुल मिलाकर फसल की स्थिति अच्छी है। इस बीच, गुजरात की मिलों ने कीमतों में कमी की उम्मीद में अपनी खरीद को रोक दिया है क्योंकि अगले महीने कपास की नयी फसल आती है। इस बीच व्यापारी कपास की दैनिक आवक में कमी की पुष्टि करते हैं। आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतें 6 महीने के उच्च स्तर पर पहुँच गयी है क्योंकि तूफान सैली से फसल के नुकसान की चिंताओं के कारण कीमतों को मदद मिली।
चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतें यदि 5,070 रुपये के सहारा स्तर से नीचे टूटती है तो 5,000 रुपये तक गिरावट हो सकती है। चना की कीमतों में 50-100 रुपये प्रति 100 किलोग्राम तक की गिरावट हुई है। इस बीच, नेफेड ने संकेत दिया है कि अब तक खरीदे गये चना स्टॉक की घोषणा विभिन्न सरकारी
योजनाओं (पीएमजीकेवाई) के माध्यम से की जायेगी। नेफेड ने 30 नवंबर 2020 तक लगभग 9.73 लाख टन के तहत चना वितरित करने का लक्ष्य रखा है।
ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) की कीमतें यदि 4,070 रुपये से ऊपर कारोबार करती है तो 4,100 रुपये तक बढ़ोतरी हो सकती है और ग्वारगम वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 6,300-6,320 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती है। वर्तमान परिदृश्य में, स्टॉकिस्ट निचले स्तर पर ग्वारसीड बेचने के लिए तैयार नहीं हैं। मैन्युफैक्चर भी 6,200 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे ग्वारगम नहीं बेच रहे हैं। उन्हें उम्मीद हैं कि कम उत्पादन क्षेत्रों और खाद्य, कॉस्मेटिक और फार्मा उद्योगों की ओर से माँग बढ़ने के कारण जल्द ही कीमतें बढ़ेंगी। (शेयर मंथन, 16 सितंबर 2020)
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