कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 19,250-19,500 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
सरकारी एजेंसियों के अनुसार भारत से कपास का निर्यात इस साल 20%-30% बढ़ने की संभावना से कीमतों को मदद मिल सकती है क्योंकि वैश्विक माँग बढ़ रही है, विशेष रूप से चीन, बांग्लादेश, वियतनाम और इंडोनेशिया से घरेलू माँग में भी सुधार हुआ है, जिसमें अधिकांश कताई मिलें 95% की क्षमता पर चल रही हैं। पिछले हफ्ते, भारतीय कपास की कीमत अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क दर 46,287 रुपये प्रति कैंडी से 15% कम थी। लेकिन यूरोप के कोविड -19 की दूसरी लहर का सामना करने और एक दूसरे शटडाउन की खबरों के भय को देखते हुये कीमतों में कमी हो सकती है। इस बीच, कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने 2019-20 में अपने कपास उत्पादन अनुमान को 360 लाख बेल (1 बेल 170 किलोग्राम का) कर लिया है, जबकि पिछला अनुमान 354.50 लाख बेल का है।
चना वायदा (नवंबर) की कीमतें पिछले कुछ सत्र से भारी अस्थिरता के साथ कारोबार कर रही है और 5,340-5,460 रुपये के दायरे में कारोबार करना जारी रख सकती है। नॉफेड द्वारा अगली सूचना तक सभी चना नीलामियों को निलंबित कर दिये जाने से कीमतों को मदद मिल सकती है। विदेशों से सफेद मटर की नगण्य आपूर्ति से भी संभवतः चना की कीमतों को मदद मिल सकती है। बुवाई के लिए बीज की माँग बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि रबी की बुवाई जल्द शुरू होगी।
ग्वारसीड वायदा (नवंबर) की कीमतों के 3,990 रुपये के पास सहारा के साथ 4,100 रुपये के स्तर पर पहुँचने की उम्मीद है। जबकि, ग्वारगम वायदा (नवंबर) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 5,950-6,100 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं। स्टॉकिस्ट और मिलो ने बेहतर गुणवत्ता और कम नमी होने के कारण नयी ग्वारसीड की आक्रामक खरीद शुरू कर दी है। ग्वारसीड की कीमतों में 174 रुपये प्रति क्विंटल तेजी देखी गयी है जबकि ग्वारगम की कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। (शेयर मंथन, 19 अक्टूबर 2020)
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