कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 19,500-20,000 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
भारतीय बाजारों में विशेष रूप से उत्तरी क्षेत्रों में कपास की कीमतें इस सप्ताह बढ़ी हैं, जहाँ भारतीय कपास निगम ने देर से खरीदारी शुरू की है। निजी मिलों द्वारा खरीद में वृद्धि हुई है और मप्र और दक्षिण भारतीय मंडियों में कपास की कम आवक से कीमतों में तेजी बनी हुई हैं। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 100 वर्षों में अक्टूबर में सबसे अधिक बारिश हुई है जिससे हुये नुकसान का आकलन अभी भी चल रहा है, लेकिन इन राज्यों में भारत में इस सीजन में कुल रकबे का लगभग 28% हिस्सा है और कुछ गुणवत्ता और उपज में कमी का अनुमान है। सितंबर में अमेरिकी खुदरा बिक्री में एक उछाल, कपड़ों की दुकानों की बिक्री में 11% की वृद्धि से भी कीमतों को मदद मिल रही है।
चना वायदा (नवंबर) की कीमतें पिछले कुछ सत्र से भारी अस्थिरता के साथ कारोबार कर रही है और 5,400-5,470 रुपये के दायरे में कारोबार करना जारी रख सकती है। नॉफेड द्वारा अगली सूचना तक सभी चना नीलामियों को निलंबित कर दिये जाने से कीमतों को मदद मिल सकती है। विदेशों से सफेद मटर की नगण्य आपूर्ति से भी संभवतः चना की कीमतों को मदद मिल सकती है। अगले कुछ हफ्तों में शुरू होने वाले बुवाई सीजन से ठीक पहले किसानों को कोई भी नकारात्मक संकेत देने से बचने के लिए केंद्र सरकार तुरंत भारत में उत्पादित होने वाली सबसे बड़ी दलहन चना पर आयात शुल्क को कम नहीं करना चाहती है।
ग्वारसीड वायदा (नवंबर) की कीमतों के 4,020-4,080 रुपये के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है। जबकि, ग्वारगम वायदा (नवंबर) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 6,100-6,200 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं। पश्चिमी राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और पंजाब की मंडियों में ग्वारसीड की आवक नहीं हो रही थी। इसलिए, व्यापारी और मिलें कम उत्पादन का अनुमान लगा रहे हैं। ग्वारसीड श्रीगंगानगर, जैसलमेर, बीकानेर, हनुमानगढ़, राजकोट, मानसा, अबोहर, सिरसा, हिसार, आदमपुर की सभी छोटी और बड़ी मंडियों में पहुँच रहा है। (शेयर मंथन, 20 अक्टूबर 2020)
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